देवेंद्र फडणवीस ने 4 दिन में दिया इस्तीफा, हरियाणा की राजनीति का भी है दिलचस्प इतिहास

Edited By Shivam, Updated: 27 Nov, 2019 07:59 PM

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महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महज 4 दिन में इस्तीफा दे दिया। उनका नाम देश के सबसे कम दिनों तक सीएम बनने वाले नेताओं में शुमार हो गया। ऐसा ही उदाहरण हरियाणा के राजनैतिक इतिहास में देखने को मिल जाएंगे। विधायक न होते हुए भी ओमप्रकाश...

चंडीगढ़ (धरणी): महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महज 4 दिन में इस्तीफा दे दिया। उनका नाम देश के सबसे कम दिनों तक सीएम बनने वाले नेताओं में शुमार हो गया। ऐसा ही उदाहरण हरियाणा के राजनैतिक इतिहास में देखने को मिल जाएंगे। विधायक न होते हुए भी ओमप्रकाश चौटाला सीएम बन गए थे। 17 महीने में वे 3 बार सीएम बने और 3 बार इस्तीफा दिया। वे कभी 6 दिन, कभी 16 दिन तो कभी 172 दिन सीएम रहे। इसी दौरान महम कांड हुआ, जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया।


इस प्रकार है चंद दिनों का सीएम बनने का घटनाक्रम 
1987 में हरियाणा के अंदर विधानसभा चुनाव हुए, चौधरी देवीलाल ने महम विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे पहले भी वे महम से दो बार विधायक बन चुके थे। तीसरी बार जनता ने चुनकर भेजा और वे सीएम बन गए। इसी दौरान देश में 1989 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस ने 197 सीट जीती और वीपी सिंह के जनता दल ने 143 सीटें जीतीं, वे दूसरे नंबर पर थे। कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए 43 सीटों वाले लेफ्ट और 85 सीटों वाली भाजपा ने बाहर से समर्थन का वादा कर दिया और वीपी सिंह की सरकार बनी। देवीलाल ने भी लोकसभा चुनाव जीता था, वे केंद्र में उप प्रधानमंत्री बन गए।


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इसके बाद हरियाणा में मुख्यमंत्री का पद खाली हो गया। पुत्र मोह में देवीलाल ने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को बिना विधायक होते हुए भी सीएम पद की शपथ दिलवा दी। 2 दिसंबर 1989 में वे सीएम बन गए, महम विधानसभा में उपचुनाव हुआ। महम चौबीसी के लोगों ने निर्णय लिया कि देवीलाल के सीट छोडऩे पर आनंद सिंह दांगी को चुनाव में उतारा जाए। ये प्रस्ताव लेकर वे देवीलाल के पास गए तो उन्होंने उनकी एक न सुनी।


ऐसे में 27 फरवरी 1990 को इनेलो की तरफ से ओमप्रकाश चौटाला उपचुनाव में उतर गए और उनकी टक्कर में आनंद सिंह दांगी चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर आ गए। इस उपचुनाव में महम के अंदर बूथ कैप्चरिंग व फायरिंग जैसी घटनाएं हुई। 8 लोगों की जान गईं, जिसके चलते चुनाव रद्द कर दिया गया।


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21 मई 1990 को फिर से महम में चुनाव हुआ। इस चुनाव में फिर से माहौल खराब हुआ और चुनाव लड़ रहे एक उम्मीदवार की हत्या कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जांच करने लगे। हरियाणा में ऐसी घटना होने पर केंद्र की वीपी सिंह सरकार पर दबाव बन गया। इसके चलते उन्होंने ओपी चौटाला को इस्तीफा देने के लिए कहा। दबाव के चलते 22 मई 1990 को ओमप्रकाश चौटाला ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वे महज 172 दिन ही सीएम रहे।


इसके बाद बनारसी दास गुप्ता को सीएम बना दिया गया। बनारसी दास 22 मई 1990 से 12 जुलाई 1990 तक 52 दिन के सीएम बने। ओमप्रकाश चौटाला ने फिर से सीएम पद की कुर्सी हथिया ली। 12 जुलाई 1990 को वे सीएम बन गए। उनके सीएम बनते ही संसद में बवाल खड़ा हो गया। काफी प्रदर्शन हुए, राजीव गांधी ने महम कांड को उठाया तो चौटाला को महज 6 दिन के अंदर 17 जुलाई 1990 को इस्तीफा देना पड़ा।

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17 जुलाई 1990 को हुकुम सिंह ने सीएम पद की शपथ ली और 248 दिन सीएम रहे। 22 मार्च 1991 को उन्हें सीएम पद से हटाकर फिर से चौटाला सीएम बन गए। उनके दोबारा सीएम बनते ही फिर विरोध शुरू हो गया। इस बार विरोध काफी हुआ। महज 16 दिन के अंदर 6 अप्रैल 1991 को फिर से चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा और हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। 

महम और रोहतक की जनता ने चौटाला परिवार को महम कांड से पहले बहुत स्नेह दिया, उन्हें चुनाव जीताकर विधानसभा और संसद तक भेजा, लेकिन इस कांड के बाद चौटाला परिवार ने यहां से फिर चुनाव नहीं लड़ा।

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