‘चौधर बनाम मोदी’ में बदला हरियाणा का लोकसभा चुनाव

Edited By kamal, Updated: 28 Apr, 2019 10:00 AM

haryana s lok sabha election changed in  chaudhar vs modi

चुनावी पारा अब उफान पकडऩे लगा है। तस्वीर बेहद साफ हो गई है। सोनीपत में हैवीवेट कैंडीडेट भूपेंद्र हुड्डा के आने के बाद मुकाबला...

सोनीपत(दीक्षित): चुनावी पारा अब उफान पकडऩे लगा है। तस्वीर बेहद साफ हो गई है। सोनीपत में हैवीवेट कैंडीडेट भूपेंद्र हुड्डा के आने के बाद मुकाबला अब ‘चौधर बनाम मोदी’ का हो चला है। भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक जहां नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं वहीं भूपेंद्र हुड्डा अपने भाषणों में अब तक कई बार कह चुके हैं कि इस बार चौधर का रास्ता सोनीपत से होकर चंडीगढ़ जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस के दिग्गज अशोक तंवर,कुमारी शैलजा,किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई भी वास्तव में लोकसभा चुनाव के बहाने चौधर की लड़ाई लड़ रहे हैं।

लेकिन नजर सबसे ज्यादा हुड्डा पिता-पुत्रों पर है,क्योंकि ये दोनों सीटें हुड्डा का प्रभाव क्षेत्र मानी जाती हैं। वहीं,भाजपा एक बार फिर मोदी के नाम पर चुनाव मैदान में है और मोदी प्रभाव से भाजपा के प्रत्याशी अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं। उधर गठबंधनों की बेहद ढीली सक्रियता भी खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। जजपा-आप के प्रत्याशी दिग्विजय सोनीपत में अपनी धमक फिलहाल नहीं दिखा पाए हैं वहीं,सभी लोकसभा क्षेत्रों में लोसुपा-बसपा प्रत्याशियों का प्रचार भी बेहद शांत है।

खासकर इनैलो व जजपा के लिए यह चुनाव बेहद खास होगा क्योंकि जींद उपचुनाव के बाद एक बार फिर अस्तित्व की जंग लड़ी जा रही है। कांग्रेस ने जिस तरह से लंबी माथापच्ची के बाद पूर्व सी.एम.भूपेंद्र हुड्डा को टिकट थमाया था,उसके बाद से ही यह तय हो गया था सोनीपत की जंग कई मायनों से बेहद खास होने वाली है। हुड्डा का अपने गढ़ यानि रोहतक व सोनीपत में प्रदर्शन यह तय करेगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी चौधर का डंका बजेगा या नहीं।

कांग्रेस में चौधर की लड़ाई चरम पर है। यही कारण है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सभी ‘चौधरियों’ या उनके पुत्र-पुत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है कि यह साफ होता जा रहा है कि मुकाबला केवल चौधर बनाम मोदी तक सिमट गया है।

हुड्डा दिखा रहे चंडीगढ़ का रास्ता 
पूर्व सी.एम.भूपेंद्र हुड्डा ने सोनीपत के अलावा हरियाणा के कांग्रेस प्रत्याशियों के क्षेत्रों में पहुंचकर भी प्रचार कर रहे हैं। अचानक से स्टार प्रचार की भूमिका में आए हुड्डा सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सीधा चंडीगढ़ का रास्ता दिखा रहे हैं। वे अपने भाषणों में इस बात पर बेहद फोकस कर रहे हैं कि यदि चंडीगढ़ में दावा मजबूत करना है तो यहां से उन्हें लोकसभा क्षेत्र में भेजना होगा। हुड्डा इसके अलावा करनाल,अंबाला सहित कई क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सभी गुट एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बच रहे हैं।
 
मोदी-शाह की ज्यादा रैलियों के प्रयास में भाजपा 
भाजपा को अब मोदी-शाह का सहारा है। विशेषकर जिन सीटों पर कांटे की टक्कर है,उन पर नरेंद्र मोदी की रैलियां करवाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 5 मई की सोनीपत में अमित शाह की रैली लगभग फाइनल हो चुकी है तो वहीं,सभी 10 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करने के लिए मोदी की कम से कम 4 या 5 रैलियां हरियाणा में करवाने की जुगत भिड़ाई जा रही है। बताया जा रहा है कि आगामी 3 दिन में यह फाइनल हो जाएगा कि नरेंद्र मोदी की रैलियां किस-किस क्षेत्र में होंगी। 

गठबंधनों में ‘निल बटे सन्नाटा’ बना चर्चा का कारण 
गठबंधन प्रत्याशियों का प्रचार निल बटे सन्नाटा की हालत में बदला हुआ है,हालांकि हिसार से जजपा-आप प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला इस मामले में अपवाद है। दुष्यंत गठबंधन के बड़े नेता हैं,लेकिन इसके अलावा अन्य 9 सीटों पर दोनों गठबंधनों में केवल अस्तित्व बचाने की लड़ाई चल रही है। खास बात यह है कि इस बार गठबंधनों का लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन आने वाले विधानसभा चुनावों में उनका भविष्य भी तय करेगा।

यह बात दीगर है कि जींद उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली जजपा पर सबकी नजर रहेगी। वहीं,ताऊ देवीलाल की विरासत को जजपा आगे बढ़ाएगी या इनैलो यह फैसला भी इन लोकसभा चुनावों के बाद हो जाएगा। 

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