Edited By Isha, Updated: 16 Nov, 2019 10:52 AM
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच. पी. एस.सी.) भाजपा-जजपा सरकार के हाथों की कठपुतली बन गया है। एच.सी.एस. भर्ती के
चंडीगढ़(बंसल): कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच. पी. एस.सी.) भाजपा-जजपा सरकार के हाथों की कठपुतली बन गया है। एच.सी.एस. भर्ती के साक्षात्कार में तथाकथित विशेषज्ञों को अंक देने का अधिकार देने से स्पष्ट है कि पारदॢशता की आड़ में सरकार आयोग की गरिमा को तार-तार कर रही है और आयोग सरकार के आगे पंगु होकर रह गया है। साक्षात्कार कमेटी में आयोग का केवल एक सदस्य और 3 विशेषज्ञ शामिल करने के समाचारों से साफ है कि भाजपा व जजपा सरकार मिलकर चहेतों को एच.सी.एस. अधिकारी बनाना चाहती है। आयोग ने भी पूरी तरह पंगुता स्वीकार करते हुए सरकार के सामने आत्म-समर्पण कर दिया है।
सुर्जेवाला ने कहा कि गजटेड अधिकारियों के चयन हेतु साक्षात्कारों में अंक देना केवल आयोग का दायित्व और अधिकार रहा है। सरकार को सदस्यों पर भरोसा नहीं है तो स्पष्ट करना चाहिए और आयोग को भंग कर देना चाहिए। क्या चेयरमैन पर भी सरकार को भरोसा नहीं? भरोसा है तो चेयरमैन अपनी अगुवाई में आयोग के साथ साक्षात्कार क्यों नहीं ले रहे हैं? उन्होंने कहा कि साक्षात्कार कमेटी में 3 विशेषज्ञ व आयोग का एक सदस्य बैठेगा तो मतलब होगा कि सरकार व आयोग द्वारा बुलाए तथाकथित विशेषज्ञों के पास चयन के लिए आयोग से 3 गुना अधिक ताकत होगी। ऐसे में चयन प्रक्रिया को क्या आयोग द्वारा किया माना जा सकता है? भर्ती में घोटाला या गलती पाई जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा? उन्होंने कहा कि एच.सी.एस. भर्ती पहले ही सवालों के घेरे में है, वहीं आयोग संवैधानिक अधिकारों से पीछे हट रहा है। उन्होंने कहा कि सवाल उठता है कि साक्षात्कार के लिए विशेषज्ञों का चयन किस आधार पर किया है? क्या सरकार ने मजबूर किया या आयोग ने निर्णय लिया है?
आयोग ने फैसला लिया है तब भी गलत और असंवैधानिक है। आयोग संवैधानिक दायित्वों को दरकिनार कर विशेषज्ञों को अधिकार और दायित्व कैसे सौंप सकता है? सरकार ने दबाव बनाकर करवाया है,तब भी गलत और गैर-कानूनी होगा। उन्होंने कहा कि अहम सवाल है कि साक्षात्कार के लिए आखिर किस मानदंड के आधार पर तथाकथित विशेषज्ञों का चयन किया गया है? क्या आवेदन लिए थे, विज्ञापन निकाला था? चयन में क्या पारदॢशता बरती गई? आयोग और सरकार नियमों के खिलाफ नई प्रथा को क्यों शुरू करना चाहते हैं? कोई गड़बड़ पाई जाती है तो आयोग के सदस्यों पर कानून व नियम लागू होते हैं,विशेषज्ञों पर वो नियम कैसे लागू होंगे?