Edited By Isha, Updated: 26 May, 2020 06:20 PM
हर कोई आज कोरोना महामारी में जूझ रहा है। किसी के पास खाने के लिए रोटी है तो कोई भूखा दिन निकाल रहा है। कहते है भूख का कोई ईमान नहीं होता भूख न ही इसका कोई धर्म नहीं होता। इसकी ताजा मिसाल पानीपत की रहने
पानीपत(सचिन): हर कोई आज कोरोना महामारी में जूझ रहा है। किसी के पास खाने के लिए रोटी है तो कोई भूखा दिन निकाल रहा है। कहते है भूख का कोई ईमान नहीं होता भूख न ही इसका कोई धर्म नहीं होता। इसकी ताजा मिसाल पानीपत की रहने वाली 63 वर्षीय बुजुर्ग है।
पिछले डेढ़ महीने से ये बुजुर्ग जिन लोगों को उनके परिवार ने त्याग दिया उन्हें चाय पिलाकर गुजारा कर रही है। जिस तरीके से आज वह कोरोना महामारी के समय में भी अपना वफादारी और दृढ़ता से कर रही है। ये वाकई तारीफे काबिल है।
जिस समय सारे देश में हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी बुजुर्गों का ख्याल रखने के लिए लोगों को टीवी पर संबोधित कर रहे थे उस समय यह बुजुर्ग अपनी जीविका के लिए अपने रोजगार के लिए दर-दर भटक रही थे पर इन्होंने हौसला नहीं तोड़ा इनकी हिम्मत और ताकत इनता विश्वास कभी भी नहीं डगमगाया। यह दिन रात काम करके भी खुश है ।