हरियाणा उन 10 राज्यों में शामिल जो अपने कचरे की प्रोसेसिंग नहीं कर पा रहे

Edited By Deepak Paul, Updated: 11 Aug, 2018 01:57 PM

haryana is among the 10 states which are not able to process their waste

हरियाणा देश के उन 10 राज्यों में शामिल है जहां शहरों के ठोस कचरे के प्रबंधन की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। इस लिस्ट में दूसरा राज्य जम्मू तथा कश्मीर है। हरियाणा के शहरों में प्रतिदिन 4514 मीट्रिक टन ठोस कचरा पैदा होता है लेकिन मात्र 17 फीसदी ही...

चंडीगढ़ (संजीव): हरियाणा देश के उन 10 राज्यों में शामिल है जहां शहरों के ठोस कचरे के प्रबंधन की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। इस लिस्ट में दूसरा राज्य जम्मू तथा कश्मीर है। हरियाणा के शहरों में प्रतिदिन 4514 मीट्रिक टन ठोस कचरा पैदा होता है लेकिन मात्र 17 फीसदी ही प्रोसैस होता, बाकी इधर-उधर फैंक दिया जाता है। जम्मू-कश्मीर में रोज 1374 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जिसमें से मात्र 8 प्रतिशत ही प्रोसैस होता है।

पड़ोसी राज्य राजस्थान की हालत और भी खराब है वहां 6500 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता जबकि प्रोसैसिंग मात्र 12 प्रतिशत की ही हो पाती है। पंजाब की हालत हरियाणा के मुकाबले कुछ बेहतर है। वहां प्रतिदिन पैदा होने वाले कचरे का 21 फीसदी प्रोसैस होता। हिमाचल में कचरा निकलता ही मात्र 342 मीट्रिक टन है जिसमें से 22 प्रतिशत प्रोसैस हो जाता है। चंडीगढ़ और राजधानी दिल्ली की स्थिति तुलनात्मक बेहतर है। चंडीगढ़ में 462 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है जिसमें से 37 फीसदी प्रोसैस होता है, जबकि दिल्ली रोज 10500 मी. टन कचरा पैदा करती है जिसमें से 55 प्रतिशत प्रोसैस होता है।

स्वच्छ भारत मिशन (शहर) से जुड़े ये आंकड़ें केंद्रीय आवास तथा शहरी मामलों के मंत्रालय की वैबसाइट पर उपलब्ध हैं, जो बताते हैं कि मोदी सरकार की ओर से वर्ष 2014 में शुरू किए कार्यक्रम को राज्य कितनी गंभीरता से ले रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार देश में हर रोज कुल 145133 मीट्रिक टन कचरा पैदा होता जिसका मात्र एक तिहाई (33.15 फीसदी) ही प्रोसैस होता है। शेष खुले में डाल दिया जाता है जिससे कूड़े के ढेर ऊंचे-दर-ऊंचे होते जा रहे हैं, जो न केवल आस-पास के वातावरण को खराब करते हैं बल्कि भूमिगत जल को भी प्रदूषित करते हैं। 

देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में मात्र 8 ही ऐसे हैं जो पैदा होने वाले कचरे का 50 फीसदी से ज्यादा प्रोसैस करते हैं लेकिन ऐसा कोई भी राज्य नहीं है जो शत-प्रतिशत प्रोसैसिंग करता हो। छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है, जो 98 प्रतिशत प्रोसैसिंग करता है। उसके बाद सिक्किम (66 प्र.श.), तेलंगाना (64), गोवा (62), मध्य प्रदेश व मेघालय (58) तथा त्रिपुरा (57) हैं। अधिक खराब स्थिति वाले राज्यों में अरुणाचल प्रदेश तथा दादर नगर हवेली  (दोनों शून्य), असम (9), मिजोरम (4), नागालैंड (15), ओडिशा (2), पुड्डुचेरी (3), उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (20) और पश्चिम बंगाल (5 प्र.श.) शामिल हैं। 

15 कलस्टर बनाए, 2 के हो चुके हैं टैंडरइस बारे में स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन का कहना है कि पिछली सरकार ने तो इस दिशा में कोई काम नहीं किया। हमारी सरकार आने के बाद काम शुरू हुआ है। पूरे प्रदेश में इस काम के लिए 15 कलस्टर बनाए गए हैं जिनमें से 2 के टैंडर हो चुके हैं। इस काम के लिए प्रोसैसिंग प्लांट लगाने होंगे उसके बाद काम शुरू होगा जिसमें सालभर का समय लग सकता है।

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