'केवल नाम की है हरियाणा CID, न तो इसके पास क्रिमिनल इंटेलिजेंस न ही इन्वेस्टीगेशन'

Edited By Shivam, Updated: 19 Jan, 2020 02:04 AM

haryana cid have neither criminal intelligence nor investigation

हरियाणा प्रदेश में बीते दो माह में प्रदेश सीआईडी (क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट) जिसका शाब्दिक अर्थ तो आपराधिक अन्वेषण (जांच) विभाग बनता है, इसे आम तौर पर खुफिया या गुप्तचर विभाग के नाम से जाना जाता है, जिसकी असल कमान को लेकर प्रदेश के...

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा प्रदेश में बीते दो माह में प्रदेश सीआईडी (क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट) जिसका शाब्दिक अर्थ तो आपराधिक अन्वेषण (जांच) विभाग बनता है, इसे आम तौर पर खुफिया या गुप्तचर विभाग के नाम से जाना जाता है, जिसकी असल कमान को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज के मध्य आपसी तकरार जैसे स्थिति व्याप्त है। विज मंत्री बनने के बाद से ही ताल ठोक के दावा करते रहे है कि गृह विभाग में ही सीआईडी का संदर्भ आता है, इसलिए गृह मंत्री इसके मुखिया हैं, जबकि दूसरी और यह तर्क है कि गृह मंत्री बनाने के बावजूद आज तक सभी मुख्यमंत्रियों ने सीआईडी को अपने पास ही रखा।

इस सबसे बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा के मौजूदा पुलिस कानून अर्थात हरियाणा पुलिस अधिनियम, 2007, जो प्रदेश में 1 नवंबर, 2008 अर्थात पिछले 11 वर्ष से लागू है, में सी.आई.डी. नाम का कहीं उल्लेख नहीं है। इसके स्थान पर 2007 पुलिस कानून की धारा 16 में प्रदेश पुलिस में स्टेट इंटेलिजेंस विंग (राज्य आसूचना शाखा)और स्टेट क्राइम इन्वेस्टीगेशन विंग (राज्य अपराध अन्वेषण शाखा) बनाने का उल्लेख है।



उन्होंने आगे बताया कि यहां ध्यान देने योग्य है कि उक्त कानून के अनुसार यह दोनों कोई अलग विभाग नहीं बल्कि राज्य पुलिस संगठन के ही हों। अलग अलग विंग अर्थात शाखा है, उन्होंने बताया कि स्टेट इंटेलिजेंस विंग का कार्य आसूचना (इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन, विश्लेषण एवं प्रचारण करना है जबकि स्टेट क्राइम  इन्वेस्टीगेशन विंग का कार्य आपराधिक आसूचना (क्रिमिनल इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन और विश्लेषण करना है। हालांकि ऐसी आपराधिक आसूचना का प्रचारण इसके कार्यों में नहीं आता। इसके साथ साथ यह विंग गंभीर और जघन्य अपराधों एवं जिनका अंतरराज्यिक, अंतर-जिला, बहुशाखन, मुख्य आर्थिक  अपराध, साइबर अपराध एवं अन्य गंभीर अपराधों के सम्बन्ध में अन्वेषण/जांच करना भी शामिल है। 

हेमंत ने बताया कि यह सारे कार्य वर्तमान में हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा किये जा रहे हैं, जिसके डीजीपी 1988 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीकेअग्रवाल है। स्टेट इंटेलिजेंस विंग के नाम से कोई विंग हरियाणा में नहीं है एवं अब तक सीआईडी के नाम से ही इसके कार्य किए जाते हैं। वर्तमान में हरियाणा सीआईडी के मुखिया 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिल कुमार राव हैं, जबकि पूरे पुलिस संगठन में इंटेलिजेंस के पदनाम से केवल एक ही पुलिस अधिकारी है राजेश कालिया जो हरियाणा पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। जो एसपी (इंटेलिजेंस) (सी.आई.डी.) हैं। 

हेमंत ने बताया कि 2007 के हरियाणा पुलिस कानून की धारा 16 में इंटेलिजेंस और क्रिमिनल इंटेलिजेंस में अंतर उल्लेखित है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि चूँकि कानूनन सी.आई.डी. के पास न तो क्रिमिनल इंटेलिजेंस है तो न ही क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन की शक्ति, जो दोनों स्टेट क्राइम ब्रांच के पास निहित है, इसलिए क्या सीआईडी का नाम क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट न्यायोचित है?

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