FIR कैंसिल करने के बदले ली 1.45 लाख रुपए रिश्वत, GRP का SI बर्खास्त

Edited By Shivam, Updated: 27 Jul, 2019 04:17 PM

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एक आपराधिक मामले में दर्ज एफआईआर को कैंसिल करने के बदले 1.45 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में जीआरपी के सब इंस्पेक्टर पोरस कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। एसपी जीआरपी धीरज कुमार ने विभागीय जांच के बाद ये कार्रवाई की। विभागीय जांच में आरोपी...

फरीदाबाद(अनिल राठी): एक आपराधिक मामले में दर्ज एफआईआर को कैंसिल करने के बदले 1.45 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में जीआरपी के सब इंस्पेक्टर पोरस कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। एसपी जीआरपी धीरज कुमार ने विभागीय जांच के बाद ये कार्रवाई की। विभागीय जांच में आरोपी सब इंस्पेक्टर दोषी पाए गए। पोरस कुमार फरीदाबाद जीआरपी थाने में थाना प्रभारी रह चुके हैं। वर्तमान में उनकी तैनाती चंडीगढ़ जीआरपी में थी।

जानकारी के अनुसार संत नगर निवासी रम्भा देवी के पति राधेश्याम का राजेश कुमार से पैसों का लेन-देन था। राजेश कुमार, राधेश्याम का पड़ोसी है। मार्च 2018 में राधेश्याम का शव बडख़ल पुल के नीचे रेलवे लाइन पर संदिग्ध अवस्था में मिला था। जीआरपी ने राधेश्याम की मौत ट्रेन की चपेट में आने से माना था, लेकिन रम्भा देवी ने राजेश कुमार से परेशान होकर पति के आत्महत्या करने की शिकायत दी थी।  महिला की शिकायत पर जीआरपी ने आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया था।

एफआईआर कैंसिल करने के लिए डेढ़ लाख में हुआ था सौदा
भर्ती होने से लेकर वर्ष 2018 तक आरोपी सब इंस्पेक्टर पोरस कुमार फरीदाबाद-पलवल में ही तैनात थे। 12 सितंबर 2017 से 20 अप्रैल 2018 तक वह थाना प्रभारी के पद पर कार्यरत थे। राजेश कुमार का आरोप है कि सब इंस्पेक्टर पोरस कुमार ने इस मामले को कैंसिल करने के लिए डेढ़ लाख रुपये की मांग की थी। 

शिकायतकर्ता सब इंस्पेक्टर को 1.45 लाख रुपये दे चुका था। आरोप है कि इसके बाद भी सब इंस्पेक्टर 5000 रुपये और देने की लगातार मांग कर रहे थे। शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हरियाणा, रेल मंत्री और मानव अधिकार आयोग समेत डीजीपी हरियाणा, एसपी जीआरपी से शिकायत की।

विभागीय जांच में दोषी पाए गए सब इंस्पेक्टर
शिकायत के आधार पर जीआपी के एसपी धीरज कुमार ने सब इंस्पेक्टर का ट्रांसफर विभिन्न थाने और चौकियों में करते रहे। वर्तमान में उनकी तैनाती चंडीगढ़ में थी। एसपी धीरज कुमार ने बताया कि डीएसपी द्वारा आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच कराई गई। जांच में पोरस कुमार पर लगे आरोप सही पाए गए। इनके कारण विभाग की छवि धूमिल हुई। जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। 

गाली गलौज का ऑडियो भी हुआ था वायरल
आरोपी सब इंस्पेक्टर के थाना प्रभारी रहने के दौरान जनवरी 2018 में आरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर आईपी नागर के साथ की गई गाली गलौज का ऑडियो भी वायरल हुआ था। ये ऑडियो एसपी जीआरपी समेत डीजीपी तक पहुंच गया था। बाद में सब इंस्पेक्टर पोरस कुमार ने आरपीएफ सब इंस्पेक्टर के साथ माफी मांगकर समझौता कर लिया था। उसके तीन महीने बाद गुडग़ांव ट्रांसफर हो गया था।

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