Edited By Deepak Paul, Updated: 03 Jul, 2018 11:55 AM
रियाणा में धान का बढ़ता रकबा जहां भू-जल चूस रहा है, वहीं हर साल धान 800 करोड़ से 900 करोड़ रुपए तक की बिजली भी खा रहा है। खेतों में बिजली पर सबसिडी दी जाती है और यह करोड़ों की सबसिडी धान की फसल पर जाया हो रही है। चिंतनीय पहलू यह है साल-दर-साल धान का...
सिरसा(नवदीप): हरियाणा में धान का बढ़ता रकबा जहां भू-जल चूस रहा है, वहीं हर साल धान 800 करोड़ से 900 करोड़ रुपए तक की बिजली भी खा रहा है। खेतों में बिजली पर सबसिडी दी जाती है और यह करोड़ों की सबसिडी धान की फसल पर जाया हो रही है। चिंतनीय पहलू यह है साल-दर-साल धान का रकबा बढऩे के चलते यह राशि भी हर साल बढ़ रही है। सैंटर फॉर रिसर्च इन रूरल एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (क्रीड) की ओर से अभी हाल में ‘एव्यूलेशन स्टडी ऑन ऑप्टिमिजेशन ऑफ एग्रीकल्चर पॉवर सबसिडी एंड इरीगेशन वाटर इंस्टीटैंसी इन हरियाणा’ रिपोर्ट में इस आशय का खुलासा हुआ है।
दरअसल, हरियाणा में पिछले कुछ दशकों में धान का रकबा निरंतर बढ़ रहा है।
हरियाणा गठन के वक्त राज्य में धान का रकबा 1 लाख 92 हजार हैक्टेयर था। पिछले साल धान का रकबा 14 लाख 22 हजार हैक्टेयर को क्रॉस कर गया। खेती सैक्टर में घरेलू बिजली दर की की तुलना में बिजली पर सबसिडी दी जाती है। अपनी विस्तृत रिसर्च रिपोर्ट में क्रीड का दावा है कि साल 2015-16 में ही धान 844.41 करोड़ रुपए की बिजली सबसिडी खा गया।
रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि हरियाणा में एक एकड़ धान की फसल को पूरे सीजन में लगभग 26 बार सिंचित किया जाता है। एक बार में धान की सिंचाई पर 26.2 यूनिट खर्च होता है जबकि प्रति यूनिट सप्लाई की रेट 7.34 रुपए आता है। इस लिहाज से धान की 1 बार सिंचाई सिंचाई होने पर करीब 191.72 रुपए खर्च होता है और 26 बार सिंचाई होने पर करीब 4984.72 रुपए खर्च आया। 2014-15 के धान के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014-15 में कुल 12 लाख 87 हजार हैक्टेयर में धान का एरिया था और करीब 53.32 प्रतिशत धान यानी करीब 6 लाख 86 हजार हैक्टेयर धान की सिंचाई बिजली ट्यूबवैलों के जरिए हुई।
6 लाख 86 हजार हैक्टेयर के करीब 16 लाख 94 हजार एकड़ एरिया बनता है। रिपोर्ट के मुताबिक एक एकड़ में 4984.72 रुपए की सबसिडी खर्च होने के लिहाज से 16.84 लाख धान 2015-16 में 844 करोड़ की बिजली खा गया। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की गई है और यह भी उल्लेख किया गया है कि यह एक बहुत बड़ी रकम है और यह पूरे हरियाणा के विकास राजस्व खर्च की करीब 2.31 फीसदी राशि है। वहीं, यहां के जिला कृषि उपनिदेशक डा.विनोद कुमार भी बताते हैं कि दूसरी फसलों की तुलना में धान की फसल कई गुणा अधिक पानी खाती है। जाहिर है सिंचाई अधिक करने के लिए नलकूपों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
साल-दर-साल बढ़ता रकबा
साल |
रकबा |
1966-67 |
192000 |
1975-76 |
269000 |
1985-86 |
584000 |
1995-96 |
830000 |
2005-06 |
1046000 |
2008-09 |
1211000 |
2014-15 |
1277000 |
2015-16 |
1354000 |
2016-17 |
1386000 |