सरकार का नया नारा है- ना जवान, ना किसान, जय धनवान : दीपेन्द्र हुड्डा

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Feb, 2021 11:10 AM

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सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज झज्जर में कई सामजिक कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने गांव मुंदसा में कश्मीर के तंगधार सेक्टर में शहीद हुए सिपाही अमित की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी प्रतिमा ...

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज झज्जर में कई सामजिक कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने गांव मुंदसा में कश्मीर के तंगधार सेक्टर में शहीद हुए सिपाही अमित की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी प्रतिमा का आवरण किया। इस दौरान बातचीत में उन्होंने कहा कि हर भारतीय को शहीदों का सम्मान करना चाहिए। जो राष्ट्र अपने शहीदों का सम्मान नहीं करता वो कभी आगे नहीं बढ़ता। स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया था, जिसे इस सरकार ने पलट दिया, अब ना जवान ना किसान, जय धनवान है। दीपेन्द्र हुड्डा ने उम्मीद जताई कि कल राज्य सभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते समय प्रधानमंत्री अपने और किसानों के बीच एक फ़ोन कॉल की दूरी को ख़त्म करेंगे और किसानों की मांग को स्वीकार करेंगे।  

दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि राज्य सभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान जब कृषि मंत्री ने पूछा कि 3 कृषि कानूनों में काला क्या है, तो उन्होंने इसका जवाब दिया कि पूरा क़ानून ही काला है। कृषि मंत्री इन कानूनों को धनवानों के हित के नजरिये से पढ़ रहे हैं और हम इन्हें किसानों के हित के नज़रिए से पढ़ रहे हैं। नज़रिये का फर्क है। किसान संगठनों ने 12 दौर की वार्ता में एक-एक बिंदु पर सरकार स्पष्ट बताया कि काला क्या है लेकिन कृषि मंत्री कुछ सुनने, समझने को ही तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार के लोग शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रहे किसानों को देशद्रोही, आतंकवादी, चीन-पाक से फंडेड, नक्सली आदि न जाने क्या-क्या कह रहे हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या भाजपा सरकार 12 दौर की वार्ता देशद्रोहियों से कर रही थी? सरकार सरकार कहती है कि किसान आन्दोलन के पीछे चीन-पाकिस्तान का हाथ है, तो क्या चीन-पाकिस्तान का हाथ गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर तक पहुँच गया है? आखिर सरकार कहना क्या चाहती है। उन्होंने चेताया कि सरकार को देश के किसान और किसान आन्दोलन को कलंकित करने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार के झूठ से पर्दा उठ चुका है। सच्चाई सामने आ गयी है। जनता के सामने ये बात साफ हो चुकी है कि लालकिले की घटना में किस पार्टी के लोग लिप्त थे।

उन्होंने कहा कि पिछले 74 दिन से सिंघु बॉर्डर पर 17 किलोमीटर, टिकरी बॉर्डर पर 21 किलोमीटर तक कई लाख किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। इन 74 दिनों में 194 किसानों की जानें चली गयी पर सत्ता के अहंकार में चूर इस सरकार के मुंह उफ़ तक नहीं निकला। दीपेन्द्र हुड्डा ने सवाल किया कि क्या सरकार का कोई प्रतिनिधि एक बार भी उनके परिवारों से मिलने गया? मिलते तो देखते उनके घरो को, देखते उनके बेसहारा परिवार के आंसुओं को और हिम्मत होती तो उनकी आँखों में आँख डाल कर कह देते कि ‘वो आतंकवादी थे'। 

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि धरनों पर बैठे किसानों को अपमानजनक शब्द कहना भाजपा सरकार के मानसिक दिवालियेपन को दर्शाता है। देश अपने अन्नदाता के इस अपमान को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। जिसका बेटा सीमाओं पर शहादत देकर तिरंगे में लिपटकर वापस आता है, उसी किसान को तिरंगे पर उपदेश दिए जा रहे हैं। सरकार या किसी दल को कोई अधिकार नहीं है कि किसान की देशभक्ति पर सवाल उठायें। उन्होंने सरकार से कहा कि वो अपनी जिद व अहंकार छोड़े और किसानों की मांगे माने। इस दौरान प्रमुख रूप से विधायक गीता भुक्कल मौजूद रहीं। 

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