सरकार किसानों पर दया करने की बजाय उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही: गीता

Edited By vinod kumar, Updated: 09 Feb, 2021 04:47 PM

government is treating farmers like enemy behavior

कांग्रेसी नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं मौजूदा विधायक गीता भुक्कल ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने 26 जनवरी को हुए घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे एक साजिश बताया। भुक्कल ने कहा कि सरकार ने जिस प्रकार से दिल्ली के...

चंडीगढ़ (धरणी): कांग्रेसी नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं मौजूदा विधायक गीता भुक्कल ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने 26 जनवरी को हुए घटनाक्रम की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे एक साजिश बताया। भुक्कल ने कहा कि सरकार ने जिस प्रकार से दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए प्रयास किए हैं, वह बेहद शर्मनाक है। किसान हमारे भाई हैं, हिंसक नहीं है। वह अपने हकों की लड़ाई के लिए वहां बैठे हैं और शांति से अपनी मांगों को मांग रहे हैं, लेकिन सरकार दया करने की बजाय उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है। उन्होंने मांग है कि सरकार को जल्द से जल्द किसानों से बातचीत करके इन काले कानूनों को वापस लेना चाहिए। ताकि किसान अपने घरों को लौट सके। उनसे और भी कई विशेष मुद्दों पर बातचीत की गई। बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-

प्रश्न:- बजट सत्र को लेकर कांग्रेस ने अविश्वास पत्र की क्या तैयारी की है?
उत्तर:- सबसे पहले तो हम गवर्नर साहब से बार-बार समय मांग रहे हैं। जो विधायक दल की मीटिंग हुई है, उसमें हमारे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बहुत से मुद्दे हैं। मुद्दों के अलावा हम सबसे पहले गवर्नर से मिलकर अविश्वास प्रस्ताव की बात रखेंगे और तीनों काले कानून हमारा मुख्य मुद्दा रहेगा। क्योंकि हमारे किसान पूरी तरह से आज आंदोलनरत हैं। बहुत से किसानों की वहां मृत्यु भी हो चुकी है।

प्रश्न:- भाजपा-जजपा-निर्दलीयों के समर्थन से आज सरकार है तो फिर कैसे कांग्रेस इस सरकार को अल्पमत में मानती है?
उत्तर:- सेशन आने दीजिए। पहले ही हमारे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि समय आने दीजिए फिर तेल देखिए तेल की धार देखिए।

प्रश्न:- टिकैत ने जींद में एक रैली को संबोधित किया। इस पर आपकी राजनीतिक टिप्पणी क्या है? 
उत्तर:- यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इस समय न केवल हरियाणा-पंजाब-यूपी के किसान बल्कि पूरी दुनिया में इस बात का हल्ला है कि किसानों के लिए बनाए गए कानून उन्हें पसंद नहीं है। उन्हें यह कानून नहीं चाहिए। पहले तो यह मांग थी कि एमएसपी उसमें जोड़ दें, एमएसपी पर खरीद को इंश्योर करें। उसके बाद अब तो संगठन अपने स्तर पर धरना कर रहे हैं और कांग्रेस का उन लोगों को पूरी तरह से समर्थन है। हम किसानों के पूरी तरह पक्ष में हैं। अति शीघ्र सरकार को बात करके इन तीनों काले कानूनों को वापस लेने का काम करना चाहिए।

प्रश्न:- लाल किले वाली घटना को कैसे देखते हैं?
उत्तर:- 26 जनवरी को जो लाल किले पर घटना हुई उसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करती हूं। इसके साथ-साथ मैं कहना चाहती हूं कि तिरंगा हमारी आन-बान और शान है। गणतंत्र दिवस के दिन हमारी और अधिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उसकी पूरी तरह से रक्षा करें। लेकिन उस दिन सरकार की पूरी तरह से चूक रही। जैसा कि सुनने में आया, देखने में आया और बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी मिस गाइड किए गए।

प्रश्न:- दिल्ली के चारों तरफ दिल्ली पुलिस के कड़े प्रबंधों के बारे में क्या कहेंगी?
उत्तर:- हमारा देश लोकतांत्रिक देश है। लोगों के द्वारा चुनी हुई सरकार है। इसमें शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करने का सभी को अधिकार है। इस प्रदर्शन और आंदोलन के दौरान सरकार ने जो घटिया हरकत की है। उसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। आप अपनी सिक्योरिटी बढ़ाइए, आप अपनी बातचीत कीजिए। आप लोगों के रास्ते में फूल बिछाने के बजाय कील और कांटे बिछाने का काम करेंगे। क्या यह सरकार का काम है। सरकार का गृह विभाग कहां है। सिक्योरिटी सिस्टम कहां है। धरने पर किसान बैठे हैं। कोई हिंसक व्यक्ति नहीं है। 

अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए वह एक ही जगह पर बैठे हैं। 26 जनवरी को भी परमिशन के बाद उन्होंने ट्रैक्टर यात्रा निकाली। जहां-जहां इस प्रकार की बैरिकेडिंग की गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। अगर बैरेकैडिंग करनी है तो अरुणाचल के पास कंट्रक्शन बढ़ती जा रही है, चाइना बॉर्डर पर जहां हमले हो रहे हैं, एंक्रोचमेंट हो रही है। सरकार को जहां गंभीर होना चाहिए, वहां सरकार नजर नहीं आ रही। यह तो हमारे देश की राजधानी दिल्ली है। किसान कह रहे हैं कि हम तो बातचीत करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि यह कानून रद्द हो, ताकि अन्नदाता अपने घरों को लौटे। जब कॉर्पोरेट के हाथों में अन्न चला जाएगा तो हम मानते हैं कि उससे महंगाई बहुत अधिक बढ़ जाएगी।

प्रश्न:- सरकार ने तीसरी से पांचवी की कक्षाएं खोलने का निर्णय किया। पूर्व शिक्षा मंत्री होने के नाते क्या आपको यह फैसला ठीक लग रहा है?
उत्तर:- छोटे बच्चों का तो वैक्सीनेशन भी नहीं होना है। अगर कोरोना के मामले जैसा सरकार कह रही है कि घटते जा रहे हैं। कोरोना जैसी गंभीर बीमारी का इलाज पूरी तरह से अभी तक नहीं आया है। सरकार को सोचना चाहिए कि जो क्लासिस खोली हैं पहले उन्हें देखें। क्योंकि छोटे बच्चों का ज्यादातर कोविड टेस्ट भी नहीं कर रहे हैं। बहुत सारे स्कूलों में टीचर्स-प्रोफेसर या बच्चों के कोरोनावायरस होने पर संक्रमण पाया गया है। तो सरकार को पूरी बातचीत करके अभिभावकों से भी सलाह लेनी चाहिए।

प्रश्न:- बजट सत्र में कौन से मुद्दे आप उठाने वाली हैं?
उत्तर:- हमारी विधायक दल की मीटिंग में बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने और बहुत से विधायकों ने अपने हिसाब से कई मुद्दे रखे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा हमारा कृषि कानून रहेंगा। 70 दिनों से हमारे किसान धरने पर बैठे हैं। 100 से ज्यादा जाने इस आंदोलन में जा चुकी हैं। दूसरा हमारी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सरकार ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके हिसाब से हरियाणा में क्राइम बढ़ता जा रहा है। लॉ एंड आर्डर की स्थिति सरकार के कंट्रोल में नहीं रही और इतनी ज्यादा बदहाल स्थिति हो गई है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों का शहरों में गांवों में घूमना दूभर हो गया है। कोरोना के दौरान हुए घोटालों रजिस्ट्री घोटाला, शराब घोटाला, धान घोटाले की बात है। शिक्षण संस्थान अभी खुले नहीं हैं। यह कह रहे थे कि हम स्मार्टफोन देंगे, टेबलेट देंगे। लेकिन आज तक बच्चों को कुछ नहीं दिया गया और भी कई मुद्दे हैं। इसको लेकर हम विधानसभा के पटल पर हम काल अटेंशन मोशन, ऐडजर्मन मोशन और रेजोल्यूशन लेकर आएंगे।

प्रश्न:- विधानसभा सत्र है। क्या वैक्सीन विधायकों को लगाई जानी चाहिए, क्या मांग है आपकी?
उत्तर:- वैक्सीन जरूर होनी चाहिए। लेकिन वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स आए हैं। उसमें यह भी सुनने में आया है कि कम कम्युनिटी वालों को यह न लगाई जाए। प्रीकंडीशनों का पूरा ज्ञान होने के बाद सबसे पहले हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लगाई जानी चाहिए। उसके बाद हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स के बाद सभी विधायकों को भी यह वैक्सीनेशन जरूर होनी चाहिए।
 

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