जख्मों पर सरकार ने नहीं लगाया ‘मरहम’

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 25 Aug, 2018 02:48 PM

government did not apply the injuries to the  hemorrhoids

मिल्क प्लांट में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर तैनात धर्मपाल का नया बाइक आज से करीब एक साल पहले डेरा प्रेमियों की हिंसा में जल गया था। प्लांट परिसर में एक कोने में आज भी जली हुई अवस्था में धर्मपाल....

सिरसा(सेतिया): मिल्क प्लांट में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर तैनात धर्मपाल का नया बाइक आज से करीब एक साल पहले डेरा प्रेमियों की हिंसा में जल गया था। प्लांट परिसर में एक कोने में आज भी जली हुई अवस्था में धर्मपाल का वह बाइक पड़ा है। पर साल भर बाद भी धर्मपाल को अपने बाइक का मुआवजा नहीं मिला है। ऐसे में अब वह कर्ज लेकर किस्तों पर नया बाइक लेकर आया है। 

धर्मपाल की तरह सिरसा जिले में करीब 50, जबकि पूरे राज्य में 200 से अधिक लोगों को 25 अगस्त 2017 को पंचकूला एवं सिरसा में हुई हिंसा में निजी सम्पत्ति के नुक्सान का मुआवजा नहीं मिला है। रोचक पहलू यह है कि सितम्बर 2017 में हाईकोर्ट ने रज्य सरकार को यह सख्त आदेश दिए थे कि डेरा सच्चा सौदा की प्रॉपर्टी कुर्क कर नुक्सान का मुआवजा अतिशीघ्र दिया जाए। स्वयं मिल्क प्लांट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिशम्बर सिंह की एक्टिवा, जबकि गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड पर्वत सिंह की बाइक भी आगजनी में जल गई थी। 

दरअसल, साध्वी यौन शोषण मामले में 25 अगस्त 2017 को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला एवं सिरसा में डेरा प्रेमियों ने हिंसा का तांडव किया। सिरसा में गांव बेगू के 132 के.वी. सब-स्टेशन में डेरा प्रेमियों की भीड़ ने आग लगा दी और जमकर तोडफ़ोड़ की। बिजलीघर में खड़े पुलिस के वाहन एवं विभाग के वाहन जला दिए। इसके अलावा 6 कर्मचारियों के वाहन भी आग के हवाले कर दिया। होशियार सिंह भी उन 6 में से एक विभाग का एक कर्मचारी है। करीब सवा 3 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। भीड़ ने सबसे पहले पार्किंग में खड़े वाहनों को निशाना बनाया। 

6 मिल्क टैंकरों के अलावा 25 निजी बाइक, 15 साइकिलों को आग लगा दी। किसी भी वाहन मालिक को उसके वाहन का मुआवजा नहीं मिला है। मिल्क प्लांट में कार्यरत धर्मपाल बताते हैं कि वह किस्तों पर बाइक लेकर आया था। वहीं, सिक्योरिटी गार्ड पर्वत सिंह ने बताया कि जब भीड़ आई वह गेट पर तैनात था। लोगों के पास सरिए, डंडे, तलवारें व पत्थर थे। पर्वत सिंह ने बताया कि उसकी नई-नवेली बाइक को भीड़ ने उसकी आंखों के सामने जला दिया और वह बेबस खड़ा देखता रहा। अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। 

जाहिर है कि अगर हमारे बदन पर कोई जख्म हो जाए तो दवाई मरहम का काम करती है। पंचकूला एवं सिरसा की हिंसा ने आम लोगों को जख्म दिए। हाइकोर्ट ने मुआवजे का मरहम लगाने के आदेश दिए। सरकार की ओर से लोगों से नुक्सान संबंधी आवेदन प्रपत्र भी भरवाए। वैरिफिकेशन भी हुई, पर एक साल के बाद भी सरकार पीड़ितों के जख्मों पर मुआवजे का मरहम नहीं लगा सकी है।
 

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