हनीफ खान के लिए जीवन का सार है गीता, ताने की परवाह किए बगैर अपनाया कर्म का संदेश

Edited By vinod kumar, Updated: 10 Dec, 2019 02:47 PM

geeta is the essence of life for hanif

हनीफ खान के लिए श्री मद्भागवत गीता का ज्ञान जीवन की सबसे अनमोल धरोहर है। उन्‍होंने करीब सात साल पहले अपने समुदाय के बच्चों को नाटक और गीतों के जरिए समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की शुरुआत की थी। समुदाय के ही कुछ लोगों ने आपत्ति उठा दी और उनको...

फतेहाबाद: हनीफ खान के लिए श्री मद्भागवत गीता का ज्ञान जीवन की सबसे अनमोल धरोहर है। उन्‍होंने करीब सात साल पहले अपने समुदाय के बच्चों को नाटक और गीतों के जरिए समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश की शुरुआत की थी। समुदाय के ही कुछ लोगों ने आपत्ति उठा दी और उनको ताने देने लगे, लेकिन उन्‍होंने गीता के कर्म ज्ञान के सार को जीवन में उतार लिया और विचलित हुए बिना अपनी कोशिशों में जुटे रहे। हनीफ ने गीता को संपूर्ण रूप से अपने गले लगा लिया है। वह गीता जयंती कार्यक्रमों व महोत्‍सव में बढ़-चढ़ कर हिस्‍सा लेते हैं।

ड्रामा टीचर हनीफ ने मुस्लिम समाज के बच्‍चों को नाटक और गीतों के जरिये संपूर्ण रूप से विकसित करने व सर्वधर्म समभाव का बोध कराना शुरू किया तो उनके समाज के ही कुछ लोगों ने कहा कि नाच-गाने से समाज में बदलाव नहीं आता। इससे डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हनीफ काफी आहत हुए। एक बार तो उन्हें लगा कि अपने मिशन में कहीं फेल न हो जाएं, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। मजहब से ऊपर उठकर उन्होंने देश व समाज को अपनी कला के जरिए नई दिशा देने की ठान ली। चाह को राह मिली और अपनी बिरादरी से मिले तानों को नजर अंदाज करते हुए हनीफ ने हिंदुओं के धर्मग्रंथ गीता को आत्‍मसात किया।

हनीफ का कहना है कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना और वह इस धारणा के कट्टर पक्षधर हैं। उन्होंने बताया कि वह अब तक चार बार गीता महोत्सव में पंडाल से लेकर बाहरी सजावट तक की जिम्मेदारी वहन कर चुके हैं।हरियाणा में ही जींद में ऐसी सजावट की जिसके कायल 50 हजार लोग हुए। उसमें महाभारत से जुड़े प्रसंगों को दिखाने के लिए गुफाएं बनाईं। उन गुफाओं में कई प्रस्तुति दी। कलाकार प्रस्तुती देने के लिए गुफा के माध्यम से मंच पर आते थे। इसके चलते कुरुक्षेत्र के बाद सबसे अधिक लोग जींद में गीता जयंती के महोत्सव देखने आए। इस बार भी फतेहाबाद में ऐसा ही प्रयास किया गया गया।

भिवानी के सर्वपल्ली राधाकृष्ण स्कूल के ड्रामा टीचर हनीफ खान मूलरूप से जींद जिले के गांव जाजवान के रहने वाले हैैं। पटियाला विश्वविद्यालय से लोकरंग मंच पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हनीफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रस्तुती दे चुके हैं। ऑन थियेटर ग्रुप के जुड़े हनीफ आगामी फरवरी में इंडो-श्रीलंका थियेटर के साथ मंचन करेंगे।

इससे पहले वह इंडो-पाक, इंडो-नेपाल व इंडो-बंग्लादेश के साथ मंचन कर चुके हैैं। इसमें दोनों देशों के कई कलाकार भाग लेते हैैं। इतना ही नहीं हरियाणवीं फिल्म मेरी जान बागरो को डायरेक्ट भी कर चुके हैैं। 20 से अधिक नाटकों में अभिनय करने के साथ उनका निर्देशन भी किया।

हनीफ खान ने कहा कि मैं गीता से ज्ञान से प्रभावित हूं। गीता में कर्म के सिद्धांत सहित अनेक गूढ़ रहस्य बताए हैं, जो मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे गीता जयंती के महोत्सव में कार्य करके अच्छा लगता है। इसके प्रसार व प्रचार के लिए आयोजित कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोग आएं, मेरा हर बार यही प्रयास रहता है। इसके लिए ही मैं कार्य करता हूं।

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