पुराने अंदाज में नई पारी खेलेंगे ‘गब्बर’!

Edited By Isha, Updated: 15 Nov, 2019 11:49 AM

gabbar will play new innings in the old style

पिछली सरकार में अपने स्वास्थ्य व  खेल विभाग में दबंग फैसलों को लेकर सुॢखयों में रहे अनिल विज अब अपनी नई पारी की शुरूआत करेंगे। पिछली सरकार के मंत्रिमण्डल में वह कैप्टन अभिमन्यु, राम बिलास

अम्बाला (रीटा/सुमन): पिछली सरकार में अपने स्वास्थ्य व  खेल विभाग में दबंग फैसलों को लेकर सुॢखयों में रहे अनिल विज अब अपनी नई पारी की शुरूआत करेंगे। पिछली सरकार के मंत्रिमण्डल में वह कैप्टन अभिमन्यु, राम बिलास शर्मा व ओमप्रकाश धनखड़ के बाद चौथे पायदान पर थे लेकिन इस बार वह ऊंची छलांग लगाकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बाद दूसरे स्थान पर आ गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए अपने विवादास्पद व तेज-तर्रार बयानों के लिए जिस तरह वह मीडिया में छाए रहे उससे माना जा रहा है कि अपनी नई पारी भी वह उसी अंदाज में खेलेंगे। उनके बेबाक रवैये के चलते उन्हें गब्बर सिंह के नाम से भी जाना जाने लगा है। कहा जाता है कि उनके लपेटे में जो भी आया उन्होंने किसी को नहीं बख्शा।

सोनिया गांधी, राहुल गांधी, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, ओम प्रकाश चौटाला, नवजोत सिंह सिद्धू व कुमारी शैलजा ही नहीं मौजूदा उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी उनके निशाने पर रहे। एक-दो बार तो उन्होंने मुख्यमंत्री के फैसलों पर भी सवाल खड़े कर दिए। फिल्म अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एम्बैसेडर बनाए जाने पर उन्होंने अपनी असहमति जताई थी। पानीपत की कष्ट निवारण समिति की बैठक में एक महिला आई.पी.एस. अधिकारी के रवैये को लेकर उनके तेवर आज भी चर्चा में हैं। स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों व कर्मियों में उनके आने की खबर से खलबली मच जाती थी।

नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी से बड़ा एम्बैसेडर बताने, राष्ट्रगान में कुछ तबदीली करने, सिविल सचिवालय में सी.आई.डी. द्वारा उनकी जासूसी करने, नोट पर से गांधी जीकी फोटो हटाने व गौमांस को लेकर उनके बयानों की  हरियाणा ही नहीं पूरे उत्तर भारत में चर्चा रही। ईमानदार माने जाने वाले अशोक खेमका आई.ए.एस. अफसर के समर्थन में हर बार खुलकर खड़े रहे तो एक अन्य अधिकारी के खिलाफ उन्होंने मोर्चा भी खोले रखा। उनकी खासियत यह रही कि जो भी उन्होंने कहा बिना किसी लाग-लपेट के कहा। नई खेल नीति व खेल विभाग में खिलाडिय़ों के लिए जो कुछ उन्होंने किया उसका असर आने वाली राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में नजर आएगा। सरकारी अस्पतालों की ओ.पी.डी. में 30 फीसदी मरीजों की बढ़ौतरी, खेल विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय स्तर का शहीद स्मारक उनके पिछले कार्यकाल को याद रखने के लिए काफी हैं।

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