Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Mar, 2018 03:00 PM
साइबर सिटी गुरुग्राम का नगर निगम अकसर घोटालों की कारगुजारियों के लिए सुर्खियों में रहता है। इस बार एक रसुकदार की पीआर एजेंसी को गलत तरीके से टेंडर देने का मामला सामने आया है। दरअसल नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर एक पीआर एजेंसी ने दिसंबर...
गुरुग्राम(सतीश राघव): साइबर सिटी गुरुग्राम का नगर निगम अकसर घोटालों की कारगुजारियों के लिए सुर्खियों में रहता है। इस बार एक रसुकदार की पीआर एजेंसी को गलत तरीके से टेंडर देने का मामला सामने आया है। दरअसल नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर एक पीआर एजेंसी ने दिसंबर 2016 को नगर निगम के पीआर का टेंडर लिया था।
निगम हर महीने एजेंसी को 5 लाख रुपए का भुगतान भी करता है। लेकिन करीब 15 महीने में इस एजेंसी ने चंद ट्वीट करने के नाम पर 77 लाख रुपए नगर निगम के खजाने से अपनी तिजौरी में भर लिए। एजेंसी की इस कारगुजारी को जब कुछ पार्षदों ने उठाया तब जाकर निगम कमिश्नर के आदेश पर एजेंसी का टेंडर रद्द करने के आदेश दिए गए है, जिसके बाद आदेश जारी किए गए कि 31 मार्च के बाद एजेंसी का करार आगे नहीं बढ़ेगा।
निगम प्रवक्ता सतबीर रोहिल्ला ने बताया कि इस एजेंसी को सोशल व डिजिटल मीडिया के साथ-साथ निगम के कैंपेन के लिए हायर किया गया था । जबकि निगम में पीआरओ के पद पर एक अधिकारी तैनात है। हर महीने 5 लाख रुपए लेने के बावजूद एजेसी पर कैंपन के नाम पर लिपापोती करने का आरोप है । एजेंसी की ये कारगुजारी पीछले कई महीनों से सुर्खियों में रही है लेकिन बावजूद इसके नगर निगम के आला अधिकारियों ने कार्यवाही करने में 15 महीने का वक्त लगा दिया ।