7 समंदर पार से अब नहीं आते विदेशी परिंदे, जाने क्या है वजह

Edited By vinod kumar, Updated: 16 Dec, 2019 11:40 AM

foreign birds no come from across the sea

ग्लोबल वार्मिंग और मौसम में बदलाव का असर विदेशी परिंदों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। गांव ओटू के समीप बहने वाली घग्गर नदी के बीच में ही नहीं किनारों पर भी विदेशी पक्षियों का कलरव खूब सुनाई देता था। घग्गर नदी में यह विदेशी मेहमान दिसम्बर के पहले हफ्ते...

रानियां(दीपक): ग्लोबल वार्मिंग और मौसम में बदलाव का असर विदेशी परिंदों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। गांव ओटू के समीप बहने वाली घग्गर नदी के बीच में ही नहीं किनारों पर भी विदेशी पक्षियों का कलरव खूब सुनाई देता था। घग्गर नदी में यह विदेशी मेहमान दिसम्बर के पहले हफ्ते से पहुंचना शुरू हो जाते थे लेकिन समय बदला और घग्गर नदी में पंजाब की फैक्टयिरों का दूषित पानी आने लगा। ऐसे में मछिलयों की संख्या में भी लगातार कमी होती चली गई।

आलम यह है कि साइबेरिया व इंगलैंड से आने वाले मुरगाबी इस इलाके में आना छोड़ गए है। इक्का-दुक्का आते हैं तो भोजन की कमी से यहां से चलते बनते हैं। ये पक्षी दिसम्बर में ओटू वीयर पर आते थे और फरवरी माह के बाद यह यहां से लौट जाते क्योंकि फरवरी के बाद पारा बढऩा शुरू हो जाता है। नदी में तेजी से फैलते प्रदूषण के लेकर यहां के लोगों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित में शिकायत कर नदी में दूषित पानी न छोडऩे की मांग की थी, लेकिन लोगों की मांग को अनसुना कर दिया गया। वन्य प्राणी विभाग के अधिकारियों की माने तो अब ये दक्षिण पश्चिम हरियाणा व राजस्थान का रुख करने लगे हैं। वहां पर विदेशी परिंदों को खूब भोजन मिलता है।

देहात के तालाबों से भी हुआ पलायन
कभी विदेशी परिंदों के झुंड के झुंड गांवों के तालाबों में भी आया करते थे। सात समंदर से पार से आने वाले इन पक्षियों को आम लोगों ने करीब से देखा है लेकिन जब से पंचायतों ने तालाबों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देना शुरू कर दिया है तब से विदेशी पक्षियों ने यहां आने से भी तौबा कर ली है क्योंकि मछली पालकों ने तालाबों के बाहर बारीक धागों पर चमकीली लगा दी है। इन चमकीली को देखकर मुरगाबी तालाब के आसपास नहीं फटकती। 

हजारों की संख्या में आते थे यहां
घग्गर नदी के आस-पास के किसानों राम सिंह, हरमेल सिंह, तारा सिंह, कुलदीप सिंह, गुरमेल सिंह, नरेन्द्र सिंह, प्रगट सिंह, लवप्रीत सिंह, शेर सिंह, निशान सिंह, कुलवीर सिंह, विक्रम सिंह, जोगिन्द्र सिंह, प्रकाश सिंह सहित अन्यग्रामीणों ने बताया कि आसपास के गांव धनूर, अबूतगढ़, ढाणी बंगी, द्योतड़, झोरडऩाली सहित साथ लगते एरिया में इन पक्षियों की संख्या हजारों में होती थी। 

ये है पक्षियों की पसंद
राजस्थान का भरतपुर, सुलतानपुर, भिंडवास, हिसार व गुडग़ांव का एरिया इनकी पसंद बन गया है। अब यह खुद को इन्हीं इलाकों में सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। कई पक्षी आकार में बड़े होते हैं तो कई छोटे भी होते हैं। जिला वन्य प्राणी उपनिरीक्षक लीलूराम ने बताया कि साइबेरियन व इंगलैंड से आने वाली मुरगाबी घग्गर नदी की बजाय राजस्थान व दक्षिणी हरियाणा के इलाकों में जाने लगे हैं, वहां पर भोजन खूब मिल जाता है।

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