‘मिलावटी राजनीति’ में खाद्य मिलावट कभी नहीं बनी

Edited By kamal, Updated: 31 Mar, 2019 12:22 PM

food adulteration never happened in  adulterated politics

यह वह दौर है जब राजनीति भी मिलावट से अछूती नहीं रह गई है। मिलावट की इस राजनीति...

सोनीपत (दीक्षित): यह वह दौर है जब राजनीति भी मिलावट से अछूती नहीं रह गई है। मिलावट की इस राजनीति ने जनता और जनता की सेहत को कभी तवज्जो नहीं दी। यही कारण है कि सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो चले मिलावट के खेल पर कभी भी राजनीतिक दलों का ध्यान नहीं गया। लोकसभा या विधानसभा चुनावों में आज तक मिलावट के मुद्दे को शामिल नहीं किया गया  जबकि पूरे 5 साल मिलावट की न केवल चर्चाएं होती हैं बल्कि इसका असर त्यौहारी सीजन में खाद्य पदार्थों से जुड़े कारोबार पर भी पड़ता है।

गत 10 वर्षों से मिलावट का खेल प्रदेश में काफी बढ़ चुका है। मिलावट का आलम यह है कि बाजार में उपलब्ध कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं रह गया है। यूं तो सत्ता में वापसी को लेकर हर पार्टी अनेक मुद्दों को आधार बनाती है लेकिन मिलावट जैसे गंभीर मुद्दे चुनावी एजैंडे में शामिल नहीं हो पाते जिसका सीधा संबंध नागरिक की सेहत से जुड़ा है। प्रदेश की बात करें तो यहां पर विकास के साथ-साथ मिलावट का धंधा भी जोरों से फल-फूल रहा है।

अंबाला में नकली पनीर की आधा दर्जन गांडिय़ां पकड़े जाने का मामला हो या गुरुग्राम में नकली दूध के कारोबार के भंडाफोड़ की बात हो, हर बार मोटा मुनाफा कमाने का लालच सेहत पर भारी पड़ता है। हैरत की बात यह है कि बहुत से मामलों में राजनेताओं से जुड़े प्रभावी लोग ही मिलावट के इस गोरख धंधे के पीछे हैं। इसके चलते कई मामलों में मिलावटखोरों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में राजनीतिक दलों से इन मुद्दों को अपनी आवाज बनाने की उम्मीद बेमानी-सी लगती है लेकिन अगर जनता इन मुद्दों पर अपने क्षेत्र के प्रतिनिधियों से बात करे तो यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है और बहुत हद तक इस पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिल सकेगी। हालांकि पिछले कुछ सालों में मिलावट पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं।  

मिलावटी दूध बेचने के मामले में हो चुकी है सजा 
मिलावटी दूध बेचने पर पोंटी गांव के दोधी कुर्बान को 6 माह की कठोर कारावास और 1 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में 2005 में फूड इंस्पैक्टर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन स्वास्थ्य विभाग की ओर से कुर्बान के दूध का सैंपल लिया गया था। सैंपल में मिलावट की पुष्टि पाई गई। इस मामले में कुर्बान को वर्ष 2013 में सजा सुनाई गई। इसके अलावा एक अन्य मामले में डेयरी वाले को भी मिलावट के मामले में 6 माह की कैद व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई। इसके अलावा भी कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें मिलावट को लेकर सजा सुनाई गई है। 

सरकार ने रखा हर महीने खाद्य पदार्थों के 30  नमूने लेने का लक्ष्य  
हरियाणा सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में हर महीने 30 खाद्य नमूने लेने का लक्ष्य रखा गया है ताकि लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सकें लेकिन भ्रष्ट अफसरशाही के चलते अधिकतर नमूने कागजों पर ही पूरे कर दिए जाते हैं क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार हर माह लिए जाने वाले 30 नमूने लैब में जाने के बाद गायब हो जाते हैं। बेहद कम नमूनों को ही निष्पक्ष रूप से लिया जाता है।

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