‘पहले-आप’ के सियासी ‘भंवर’ में उलझी ‘सियासत’

Edited By Deepak Paul, Updated: 07 Jan, 2019 12:29 PM

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हरियाणा के जींद में होने वाला उपचुनाव चूंकि हरियाणा की सत्ता का सैमीफाइनल माना जा रहा है। इसलिए प्रदेश के सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए गहन मंथन के साथ-साथ रणनीति बनाने में तो मशगूल हैं...

हिसार (संजय अरोड़ा): हरियाणा के जींद में होने वाला उपचुनाव चूंकि हरियाणा की सत्ता का सैमीफाइनल माना जा रहा है। इसलिए प्रदेश के सभी राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए गहन मंथन के साथ-साथ रणनीति बनाने में तो मशगूल हैं ही वहीं उम्मीदवार तय करने में भी फूंक-फूंक कर कदम रखते हुए पहले आप-पहले आप की तर्ज पर परस्पर विरोधी दलों के उम्मीदवार के सामने आने का इंतजार कर रहे हैं।

यही वजह है कि नामांकन भरने की अंतिम तिथि 10 जनवरी में मात्र पर 3 दिन शेष रहने के बावजूद सत्ताधारी भाजपा, कांग्रेस, इनैलो-बसपा गठबंधन व जननायक जनता पार्टी में से किसी भी दल ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। उम्मीदवार तय करने में कोई भी राजनीतिक जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है और सभी दलों के नेता उम्मीदवार के चयन में जातीय समीकरणों को मद्देनजर रखते हुए एक-दूसरे दल के उम्मीदवार का भेद लगाने में जुटे हुए हैं।

राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाया जा रहा था कि पूर्व में हुए चुनावों की भांति सत्ताधारी भाजपा सबसे पहले अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर देगी और गुरुवार को भाजपा चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवार का नाम घोषित करने की भी संभावना थी। मगर काफी मंथन के बाद भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं हो सका और उम्मीदवार के चयन हेतु राज्य के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ व पूर्व सांसद सुधा यादव को पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया गया। और उनकी फीडबैक के आधार पर भाजपा द्वारा भी 8 या 9 जनवरी को ही उम्मीदवार की घोषणा संभावित है।

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