कमर्शियल काम्प्लैक्सों में फायर सेफ्टी को ठेंगा, कभी भी हो सकता है सूरत व दिल्ली जैसा हादसा

Edited By Isha, Updated: 21 Dec, 2019 12:44 PM

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शहर में रिहायशी कालोनियों से लेकर हुडा की मार्कीटों में बने कमर्शियल काम्प्लैक्स फायर सेफ्टी से जुड़े नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इन कमर्शियल काम्प्लैक्सों में फायर फाइटिंग उपकरण नहीं लगे.......

जींद (जसमेर) : शहर में रिहायशी कालोनियों से लेकर हुडा की मार्कीटों में बने कमर्शियल काम्प्लैक्स फायर सेफ्टी से जुड़े नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इन कमर्शियल काम्प्लैक्सों में फायर फाइटिंग उपकरण नहीं लगे हैं। इसके अलावा इन काम्प्लैक्सों में आग लगने की सूरत में इनमें कोचिंग लेने वालों से लेकर यहां काम करने वालों के सुरक्षित बाहर निकलने के रास्ते भी नहीं हैं। इसके चलते जिले में कभी भी गुजरात के सूरत और हाल ही में दिल्ली के फिल्मीस्तान में हुए भयावह अग्रिकांड में लोगों की जान जा सकती है।

शहर की शिव कालोनी, गांधी नगर कालोनी, विवेकानंद नगर, अर्बन एस्टेट कालोनी, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी जैसे रिहायशी क्षेत्रों में कई तरह के कमर्शियल काम्प्लैक्स चल रहे हैं। इनमें कई जगह तो रिहायशी मकानों को ही कोचिंग सैंटर और एकैडमी आदि में बदल दिया गया है जबकि कई जगह कमर्शियल काम्प्लैक्स बनाए गए हैं। कमर्शियल काम्प्लैक्सों में कोङ्क्षचग सैंटर से लेकर निजी क्लीनिक आदि चल रहे हैं तो कुछ रिहायशी मकानों में भी इस तरह की कमर्शियल गतिविधियां चल रही हैं, जहां सैंकड़ों की संख्या में बज्जे, मरीज और उनके अभिभावकों से लेकर दूसरे लोग मौजूद रहते हैं।

इसके अलावा हुडा की मार्कीटों में भी छोटे से बड़े कमर्शियल काम्पलैक्स चल रहे हैं। इस तरह के सबसे ज्यादा कमर्शियल काम्प्लैक्स गोहाना रोड पर डी.आर.डी.ए. के सामने की मार्कीट में हैं। इसमें 100 से ज्यादा कोचिंग सैंटर चल रहे हैं, जिनमें हर रोज हजारों बच्चे कोचिंग लेने के लिए आ रहे हैं। इन बच्चों की सुरक्षा के यहां कोई इंतजाम नहीं हैं। फायर सेफ्टी को लेकर इनमें से एक भी कमर्शियल काम्प्लैक्स ने फायर विभाग से एन.ओ.सी. नहीं लिया हुआ है। फायर विभाग एन.ओ.सी. उसी काम्प्लैक्स को देता है, जिसमें आग से सुरक्षा के तमाम जरूरी इंतजाम होते हैं।

हुडा मार्कीट में चल रहे कोचिंग सैंटर में स्थिति यह है कि इनमें ऊपर चढऩे और नीचे आने के लिए केवल एक रास्ता है। यह रास्ता भी इतना तंग है कि एक बार में एक ही व्यक्ति इससे निकल सकता है। इस तरह के कोचिंग सैंटरों में किसी कारण से आग लगने पर उस पर काबू पाने के कोई इंतजाम नहीं हैं। आग जैसी एमरजैंसी की सूरत में कोचिंग सैंटरों से बच्चों का सुरक्षित निकलना पूरी तरह से नामुमकिन है। कुछ कोचिंग सैंटर संचालकों ने तो खिड़कियों तक को होॄडग्स लगाकर बंद किया हुआ है। 

इससे ऐसी जगह आग लगने पर धुएं में ही दम घुटकर बच्चों की मौत तय है। आग से सुरक्षा के नाम पर इन कोचिंग सैंटरों में कोई इंतजाम नहीं हैं और यहां कोचिंग के लिए आने वाले बच्चों की जान हर पल खतरे में रहती है। गुजरात के सूरत के एक कोचिंग सैंटर में आग लगने से 20 बच्चों की मौत के बाद इन कोचिंग सैंटर संचालकों को आग से कोचिंग सैंटरों को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए जिला प्रशासन ने निर्देश जारी किए थे लेकिन इन निर्देशों को कोचिंग सैंटर संचालकों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। 

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