Edited By Manisha rana, Updated: 14 Feb, 2021 08:20 AM
प्रशासन के शिकंजे के बाद डिफाल्टर राइस मिलर्स में खलबली मच चुकी है। इन्होंने सालों पहले जो सरकारी चावल डकारा था। उसकी रिकवरी अब शुरू हो चुकी है। सम्पत्ति नीलाम होने के डर से सहमे राइस मिलर्स अब पैसे जमा करवा रहे हैं...
करनाल : प्रशासन के शिकंजे के बाद डिफाल्टर राइस मिलर्स में खलबली मच चुकी है। इन्होंने सालों पहले जो सरकारी चावल डकारा था। उसकी रिकवरी अब शुरू हो चुकी है। सम्पत्ति नीलाम होने के डर से सहमे राइस मिलर्स अब पैसे जमा करवा रहे हैं। अब तक 3 राइस मिलर्स 6.35 करोड़ रुपए जमा करवा चुके हैं। राशि अधिक होने पर विभाग ने इन्हें किश्तों में पैसे चुकाने का ऑफर दिया है। आगामी सप्ताह 4 करोड़ की रिकवरी की उम्मीद है। अधिकारियों की मानें तो जल्द ही बाकी के राइस मिलर्स भी रिकवरी के लिए आगे आएंगे।
बता दें कि विभाग ने गत दिनों 34 डिफाल्टर राइस मिलर्स की लिस्ट राजस्व विभाग को सौंपी थी। इन पर करीब 200 करोड़ का चावल बकाया है। इनमें एक फर्म के 2 राइस मिल ऐसे भी हैं जिन पर 37 करोड़ की रिकवरी बनती है। सरकारी पैसे की रिकवरी के लिए इनकी सम्पत्ति कुर्क करने की परमिशन पहले ही ली जा चुकी है। अब बस एक्शन बाकी है। जो राइस मिल पैसे जमा नहीं करवाएंगे उनकी सम्पत्ति नीलाम होना तय है। दुबके राइस मिलर्स पर जल्द ही राजस्व विभाग सख्त एक्शन ले सकता है।
ऐसे चली विभागीय प्रक्रिया
सरकारी चावल में गबन का मामला सामने आने के बाद सबसे पहले राइस मिलों का डिफाल्टर घोषित किया गया। इसके बाद इन पर संबंधित थानों में विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई। इसके बाद अधिकारियों से इनकी सम्पत्ति अटैच करने की परमिशन ली गई। सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अब राजस्व को 34 राइस मिलर्स की लिस्ट भेजी गई, ताकि इनकी सम्पत्ति कुर्क कर सरकारी पैसे की वसूली की जा सके।
2013-14 में पहली बार गबन
2013-14 में चावल का गबन सामने आया। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने पड़ताल की तो तो 16 राइस मिलों के नाम सामने आए। इसके बाद 2014-15 में 21 करोड़ 48 लाख 87 हजार 590 रुपए का चावल नहीं दिया। यह सिलसिला 2015-16 में भी जारी रहा। इस साल 4 मिल 27 करोड़ 24 लाख 61 हजार 381 रुपए का चावल डकार गए। वर्ष 2015-16 में तत्कालीन डी.एफ.एस.सी. निशांत राठी के सामने जब यह केस आए तो वह राइस मिलर्स के केस न्यायालय तक ले गए। ताकि इनसे रिकवरी की जा सके।
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