Edited By Manisha rana, Updated: 19 Apr, 2021 10:13 AM
संसद मार्च के मुद्दे ने हरियाणा व पंजाब के किसानों को आमने-सामने ला दिया है। दिल्ली कूच के लिए किसान संगठनों पर लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच मई में प्रस्तावित संसद मार्च रद्द हो गया ...
सोनीपत : संसद मार्च के मुद्दे ने हरियाणा व पंजाब के किसानों को आमने-सामने ला दिया है। दिल्ली कूच के लिए किसान संगठनों पर लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच मई में प्रस्तावित संसद मार्च रद्द हो गया है। हवाला यह दिया गया है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह मार्च रद्द किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों में हंगामा हो गया। उत्तर प्रदेश भी यही चाहता था कि यह मार्च रद्द नहीं किया जाए लेकिन पंजाब जत्थेबंदियां इसके पक्ष में नहीं थीं। हरियाणा प्रदेश के किसान संगठनों ने तो यहां तक कहा है कि इस बैठक में साफ हो गया है कि कौन किसानों के आंदोलन को आगे ले जाना चाहता है और कौन इसे रोक रहा है। बताया गया है कि देर रात तक चले इस हंगामे और विरोध के बीच जैसे-तैसे वरिष्ठ नेताओं ने स्थिति संभाली और दोनों पक्षों को शांत करवाया।
यही वजह है कि संयुक्त किसान मोर्चा की 2 दिन पहले हो चुकी बैठक के बाद भी किसान नेता मीडिया का सामना करने को तैयार नहीं हैं। चूंकि यह सबसे बड़ा कार्यक्रम दिया गया था और अब इसके लिए तारीख तय करने की बजाय इसे रद्द कर दिया गया है। यह दीगर बात है कि पंजाब के संगठन सबसे ज्यादा दिल्ली कूच के लिए दबाव बना रहे थे और इनके कहने पर ही यह फैसला लिया गया था। अब किन्हीं वजह से पंजाब के संगठन ही इसके विरोध में उतरे हैं कि संसद मार्च रद्द किया जाए।
पंजाब की 29 जत्थेबंदियां नहीं थीं पक्ष में
संसद मार्च की रणनीति को लेकर ही 2 दिन पहले पंजाब की जत्थेबंदियों की बैठक हुई थी। इसमें 29 संगठनों ने संसद मार्च करने से साफ इंकार कर दिया तो 3 संगठन संसद मार्च करने के लिए तैयार दिखे। इसके बाद शनिवार देर शाम तक संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक चली। इसमें संसद मार्च करने से पंजाब के संगठनों ने इंकार कर दिया जबकि हरियाणा के किसान संगठनों के साथ ही यू.पी. के एक संगठन ने संसद मार्च जरूर करने की बात कही। इसी को लेकर हरियाणा व पंजाब के किसान नेताओं के बीच काफी देर तक खींचतान होती रही।
किसान नेताओं का दावा है कि इस समय परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं जिसको देखते हुए संसद मार्च नहीं करने का फैसला लिया गया है। संसद मार्च को लेकर अभी कोई विचार नहीं है और आगे परिस्थिति देखते हुए कोई फैसला लिया जा सकता है। संसद मार्च को रद्द करने के बारे में भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि अब यह कहना ठीक नहीं होगा कि कौन संसद मार्च चाहता था और कौन नहीं। अभी आगे संसद मार्च करने को लेकर भी कोई विचार नहीं है। यह जरूर है कि आगे परिस्थितियों केा देखते हुए आंदोलन की रणनीति बनेगी। इसके अनुसार ही संसद मार्च को लेकर फैसला हो सकता है।
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