प्रशासन के डर से नहीं बल्कि मानव जीवन को बचाने के लिए गेहूं के फाने न जलाएं किसान : छाबड़ा

Edited By Manisha rana, Updated: 12 Apr, 2021 12:59 PM

farmers should not burn wheat grains save human life

गेंहू फसल की कटाई का सीजन जोरों पर है जहां कुछ किसान अज्ञानतावश फसल कटाई के बाद खेत में बचे हुए फानों व अवशेषों को आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता...

ऐलनाबाद (सुरेंद्र सरदाना) : गेंहू फसल की कटाई का सीजन जोरों पर है जहां कुछ किसान अज्ञानतावश फसल कटाई के बाद खेत में बचे हुए फानों व अवशेषों को आग लगा देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। जबकि फाने जलाने से जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है और यह जहरीली गैसे मानव जीवन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए किसान व सामाजिक संस्था अखिल भारतीय सेवा संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण छाबड़ा ने किसानों को जागरूक करने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया है कि सभी किसान अपने खेत में गेहू की कटाई के बाद बचे फानों को आग न लगाए बल्कि उन फानों से पशुओं के लिए प्रयोग किया जाने वाला भूसा बनवाए। इससे दोहरा नहीं ,तिहरा नहीं बल्कि चोहरा लाभ है।

जानकारी देते हुए हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति गेंहू के फाने या बचे हुए फसल अवशेष जलाते हुए पाया गया तो जिला प्रशासन दोषी व्यक्ति के खिलाफ पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु जुर्माने व अन्य कानूनी कार्यवाही करेगा। उन्होंने बताया कि इस बारे हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन द्वारा पर्यावरण जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिले में विभिन्न स्थानों जैसे बस स्टैंड, अस्पताल, जिला सचिवालय, अनाज मंडी में गेंहू के फाने न जलाने की अपील के बैनर लगाए गए हैं। इस बारे जिले में धारा 144 भी लागू है और गेंहू की फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों को जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया है।

जिलाधीश की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा दोषियों पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि फानों को आग लाने से मिटटी में मौजूद मित्र कीटों की कमी आती है जिससे उपजाऊ शक्ति घट जाती है। इसके अतिरिक्त गेंहू के फाने जलाने से पशुओं के चारे में भी कमी होती है। भूपेंद्र सिंह ने जिले के किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान खेतों में गेहूं के फाने आदि न जलाएं व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाकर उचित तरीके से निपटान करें ताकि पर्यावरण को होने वाली हानि व अपरोक्ष रूप से होने वाली आर्थिक हानि से बचा जा सके।

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