Edited By vinod kumar, Updated: 11 Aug, 2020 09:41 PM
सरकार की ओर से इस साल शुरू की गई ''मेरा पानी-मेरी विरासत'' योजना के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछले छह वर्षों की तुलना में इस बार धान का रकबा सबसे कम है। इस खरीफ सीजन में पूरे प्रदेश में 12 लाख 83 हजार हेक्टेयर में धान की बिजाई की गई है, जबकि...
संजय अरोड़ा: सरकार की ओर से इस साल शुरू की गई 'मेरा पानी-मेरी विरासत' योजना के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। पिछले छह वर्षों की तुलना में इस बार धान का रकबा सबसे कम है। इस खरीफ सीजन में पूरे प्रदेश में 12 लाख 83 हजार हेक्टेयर में धान की बिजाई की गई है, जबकि पिछली बार यह 15 लाख 59 हजार हेक्टेयर था।
इस तरह से पिछली बार की तुलना में इस बार धान का रकबा 2.76 लाख हेक्टेयर कम है। यह भी एक राहत भरा तथ्य है कि पिछले छह वर्षों में इस बार धान का रकबा सबसे कम है। 2014-15 में 12,77,000, 2015-16 में 13,53,000, 2016-17 में 13,86,000, 2017-18 में 14,22,000, 2018-19 में 14,86,000, 2019-20 में 15,59,000 में धान का रकबा था। इस बार रकबा 12,83,000 हेक्टेयर है।
गौरतलब है कि सरकार की ओर से भूजल स्तर के अत्याधिक दोहन को रोकने के लिए इसी साल 9 मई को 'मेरा पानी-मेरी विरासतÓ योजना शुरू की थी। सरकार की ओर से धान की बजाय कॉटन, मूंग, अरहर, मक्का, सब्जियां एवं बागवानी पर 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि शुरू की गई। इस योजना के असरकारक परिणाम सामने आए हैं। प्रदेश में करीब 55,177 हेक्टेयर में धान की बजाय कॉटन, 14,297 हेक्टेयर में बागवानी, 1793 हेक्टेयर में मक्का एवं 1585 हेक्टेयर में दलहन की फसल बिजाई कर कृषि एवं कल्याण विभाग को प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन किया है।
मुख्यमंत्री ने 8 खंडों के किसानों से सीधी की थी वार्ता
हरियाणा में पिछले कुछ समय से धान की खेती जलसंकट पैदा कर रही थी। इसी वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को धान की बजाय कपास व अन्य वैकल्पिक फसलें बीजने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को 9 मई को लागू करते हुए धान की बजाय वैकल्पिक फसलें बीजने वाले किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा भी की थी।
यही नहीं सी.एम. खट्टर ने इस योजना को लेकर किसानों के मन में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए खुद डार्क जोन में आने वाले सभी 8 खंडों में जाकर किसानों से सीधी वार्ता की थी और किसानों को इस योजना की जानकारी देने के साथ-साथ जल को आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत बताते हुए किसानों की शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया था। उसके बाद किसान इस योजना के प्रति प्रोत्साहित हुए और अब इस योजना के सार्थक परिणाम भी सामने आए हैं।
ये है 8 खंडों में स्थिति
इस बार पंचायती भूमि पर बबैन में 701 हेक्टेयर, गुहला-चीका में 1,064 हेक्टेयर, इस्माइलाबाद में 585 हेक्टेयर, पिपली में 642 हेक्टेयर, रतिया में 1428 हेक्टेयर, शाहबाद में 529 हेक्टेयर, सिरसा में 4,733 हेक्टेयर एवं सीवन में 526 हेक्टेयर में धान की बजाय दूसरी फसल बोने को लेकर आवेदन किया है और अब इन आवेदनों के संदर्भ में विभाग की ओर से वेरीफाई करने के अलावा गिरदावरी का निरीक्षण किया जा रहा है।
पिछली बार व इस बार जिलावार धान का रकबा (हेक्टेयर में)
जिला |
2019 |
2020 |
हिसार |
84,400 |
56,820 |
फतेहाबाद |
1,28,700 |
1,15000 |
सिरसा |
1,04200 |
80,130 |
भिवानी |
26,400 |
20,800 |
रोहतक |
67,000 |
50,210 |
झज्जर |
50,900 |
36,000 |
सोनीपत |
1,16,000 |
85,500 |
गुरुग्राम |
5,300 |
3,710 |
मेवात |
10,600 |
4,540 |
पलवल |
37,300 |
17,800 |
फरीदाबाद |
16,900 |
7,110 |
करनाल |
1,80,700 |
1,70,000 |
पानीपत |
86,000 |
74,250 |
कुरुक्षेत्र |
1,21,000 |
1,11,150 |
कैथल |
1,74,500 |
1,52,720 |
अम्बाला |
90,900 |
76,240 |
पंचकूला |
12,900 |
11,020 |
यमुनानगर |
84,500 |
72,800 |
जींद |
1,45,900 |
1,27,200 |
महेंद्रगढ़ |
0 |
0 |
रेवाड़ी |
2,900 |
1,030 |
दादरी |
12,000 |
9,500 |
हरियाणा में पिछले कुछ वर्षों में धान का रकबा
वर्ष |
रकबा |
2012-13 |
12,06,000 |
2013-14 |
12,44,000 |
2014-15 |
12,77,000 |
2015-16 |
13,53,000 |
2016-17 |
13,86,000 |
2017-18 |
14,22,000 |
2018-19 |
14,86,000 |
2019-20 |
15,59,000 |
2020-21 |
12,83,000 |
किसानों ने वैकल्पिक फसलों में दिखाई रुचि: कौशल
कृषि एवं कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल का कहना है कि प्रदेश के किसानों ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को गंभीरता से लेते हुए जल के महत्व को समझा है और वे लगातार धान की बजाय कपास व अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई के प्रति आकर्षित हुए हैं। उनके अनुसार इस योजना के तहत चयनित डार्क जोन में आने वाले केवल 8 ब्लॉकों में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में किसानों ने वैकल्पिक फसलों के प्रति काफी रुचि दिखाई है।
उन्होंने बताया कि अब तक 22 जिलों में 1,27,409 हेक्टेयर भूमि में वैकल्पिक फसलों के लिए किसानों ने पंजीकरण करवाया है। विभाग की ओर से अब तक वेरीफाई करने के बाद करीब 10 करोड़ की प्रोत्साहन राशि किसानों को दी जा चुकी है और यह प्रक्रिया अभी जारी है।