किसान आंदोलन: शबद-कीर्तन से चढ़ता है दिन, ताश-हुक्के पर गपशप से होती है शाम

Edited By Isha, Updated: 19 Dec, 2020 12:38 PM

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कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए गांव आटोहां के समीप नेशनल हाइवे पर 3 दिसंबर से किसान धरने पर बैठे हैं। केंद्र से हर वार्ता बेनतीजा रही है। आंदोलन कब तक चलेगा, कोई नही जानता। ऐसे में धरने पर बैठे किसानों ने अपनी दिनचर्या तय कर ली है। धरने पर बैठे

पलवल (बलराम गुप्ता): कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए गांव आटोहां के समीप नेशनल हाइवे पर 3 दिसंबर से किसान धरने पर बैठे हैं। केंद्र से हर वार्ता बेनतीजा रही है। आंदोलन कब तक चलेगा, कोई नही जानता। ऐसे में धरने पर बैठे किसानों ने अपनी दिनचर्या तय कर ली है। धरने पर बैठे किसानों की दिनचर्या आम दिनों की तरह चलने लगी है। किसान आंदोलन में दिन की शुरुआत शबद कीर्तन से होती है। फिर चाय नाश्ते के बाद धरना के साथ लंगर में सेवा करने के बाद किसान ताश खेलते हैं, हुक्का गुडग़ुड़ाते हैं और फिर शाम के खाने की तैयारी हो जाती है। रात में सेहत फिट रखने के लिए दूध भी जरूर पिया जाता है। 
 
गांवों से रोजाना हो रही दूध, गुड़ व छाछ की सेवा
पलवल जिले के अलग-अलग गांवों से लोग खाने-पीने का सामान लेकर पहुंच रहे हैं। गांव पृथला, ऑटोहा व आसपास से ग्रामीण रोजाना 200 से 300 लीटर लस्सी, 300 लीटर दूध व आरओ का पानी ट्रालियों में लेकर पहुंचते हैं और किसानों में वितरित करते हैं। यही नहीं किसान यहां सेवा का जिम्मा भी खुद उठाते हैं और बुजुर्गों व महिलाओं की देखरेख में लगे रहते हैं।

धरनास्थल पर दिख रहा सर्वधर्म समभाव
धरने पर जमे किसानों को समर्थन देने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। यहां ये लोग लंगर तैयार करने में हाथ बंटा रहे हैं। यहां मौजूद मोहम्मद रफीक, अब्दुल मन्नान ने बताया कि वह लंगर के समय सेवा में जुट जाते हैं तो बाकी समय में सभा में मौजूद रहते हैं। वह नमाज भी यहीं धरने के बीच सड़क पर बैठकर पढ़ते हैं और फिर सेवा में जुट जाते हैं। शुक्रवार को जुमे की नमाज उन्होंने सड़क पर ही अदा की।

पंजाब केसरी की खबरों पर होती है चर्चा
पंजाब केसरी अख़बार की खबरों पर सुबह चाय से लेकर रात खाना खाने तक   किसान नेताओ के साथ साथ सभी राजनैतिक दलों के नेतागण चर्चा करते दिखाई देते हैं। पूरे पंडाल में पंजाब केसरी की प्रतियां को पढ़ते किसान नजऱ आते हैं। कई किसानों ने पंजाब केसरी अख़बार के साथ साथ स्थानीय और प्रादेशिक चैनलों की जमकर तारीफ की है। आंदोलनकारी किसान बताते हैं कि इनके द्वारा किसान आंदोलन के बारे में निष्पक्ष खबरें दी जा रही है।

हुक्के की गुडग़ुड़ाहट पर होती रणनीति तय 
प्राचीन काल से ही हुक्का ग्रामीण संस्कृति में अपना गौरवमयी तथा गरिमापूर्ण इतिहास संजाये है।  ग्रामीण क्षेत्रों में हुक्के ग्रामीण जीवन से गहरा संबंध रखते है। पूरे दिन हुक्के के चारों तरफ बैठकर हुक्का गुडग़ुड़ाते हुए किसान अपनी आगामी रणनीति बनाते हैं।

दूध, जलेबी व गाजर के हलवे से हो रहा स्वागत
जहां एक तरफ सरकार व किसान आमने-सामने हैं। दिल्ली की तीन सीमाओं पर तनाव बरकरार है। सरकार व किसानों के बीच चल रही इस लड़ाई में जीत पर हर शख्स की नजर है। इससे इतर पलवल में किसान आंदोलनकारियों की सेवा में दिन-रात जुटे हैं। यहां इन किसानों के लिए  शिविर लगा हैं। इनमें हर दिन सैकड़ों किसानों को खाना खिलाया जा रहा है। यहां कभी हलवा तो कभी मटर पनीर बन रहा है इसके साथ गर्मागर्म दूध,रसीली जलेबी और गाजर का हलवा।  

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