प्रदेश में किसानों के मुकाबले बढ़ीं खेत मजदूरों की आत्महत्याएं

Edited By Isha, Updated: 29 Nov, 2019 12:07 PM

farm workers  suicides increased compared to farmers in the state

हरियाणा देश के उन राज्यों में है जहां खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में इजाफा हुआ है। अगर कृषि क्षेत्र में होने वाली सारी आत्महत्याओं पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि वर्ष 2016 में मजदूरों की आत्महत्याओं में किसानों की

चंडीगढ़ (संजीव शुक्ल) : हरियाणा देश के उन राज्यों में है जहां खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में इजाफा हुआ है। अगर कृषि क्षेत्र में होने वाली सारी आत्महत्याओं पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि वर्ष 2016 में मजदूरों की आत्महत्याओं में किसानों की अपेक्षा अधिक बढ़ौत्तरी हुई है। हरियाणा के साथ मध्य प्रदेश,आन्ध्र प्रदेश,गुजरात तथा तमिलनाडु वे राज्य हैं जहां किसानों की अपेक्षा मजदूरों ने अधिक आत्महत्याएं की हैं।

2016 : देश के कृषि क्षेत्र में 11,379 लोगों ने आत्महत्याएं कीं 
2016 में देश के कृषि क्षेत्र में कुल मिलाकर 11,379 लोगों ने आत्महत्याएं कीं जिनमें से 6,270 किसान और 5,109 मजदूर थे। देश में हुई कुल 1,31,008 आत्महत्याओं का ये 8.7 फीसदी है।रिपोर्ट में तुलनात्मक रूप से बताया गया है कि वर्ष 2015 में आत्महत्या करने वाले मजदूरों की देश में संख्या 4,595 थी जो विवेचनाधीन वर्ष में बढ़कर 5,109 हो गई जबकि किसानों की संख्या 2015 के 8,007 से घट कर 6,270 पर आ गई। मौत को गले लगाने वाले किसानों में 5,995 पुरुष थे जबकि महिलाएं 275 थीं। अपनी जान देने वाले मजदूरों की कुल संख्या में 4,476 पुरुष और 633 महिलाएं थीं। एन.सी.आर.बी. के अनुसार कृषि क्षेत्र में आत्महत्याओं के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (32.2 प्रतिशत), कर्नाटक (18.3 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (11.6 प्रतिशत), आन्ध्र प्रदेश (7.1 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (6 प्रतिशत) में हैं।

2016 : हरियाणा में 250 खेत मजदूरों ने आत्महत्याएं कीं
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) की ताजा रिपोर्ट अनुसार वर्ष 2016 में हरियाणा में 250 खेत मजदूरों ने आत्महत्याएं कीं। ये इस बात का संकेत है कि पिछले 2 सालों की तुलना में 2016 में अच्छी फसल होने के बावजूद मजदूरों तक उसका लाभ नहीं पहुंचा जिसके परिणामस्वरूप उनके सामने ऐसी समस्याएं बनी रहीं जिसने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर किया। 2015 में हरियाणा में खेत मजदूरों की आत्महत्या की संख्या 134 थी जबकि पंजाब में ये मात्र 24 थी। इसी साल दूसरी ओर किसानों द्वारा आत्महत्या की संख्या पंजाब में 100 और हरियाणा में 28 थी।

2015 के मुकाबले 2016 में देश में कृषि क्षेत्र में होने वाली कुल आत्महत्याओं में 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई जिसका कारण किसानों की मौतों में कमी था जबकि मजदूरों की संख्या बढ़ी। ये स्थिति एक-दो राज्यों में नहीं थी, बल्कि 29 में से 17 राज्यों की है। ये ट्रैंड उन 10 प्रमुख राज्यों में भी दिखाई दिया जहां किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्याएं की। इस लिस्ट में आने वाले 5 प्रमुख राज्य हैं हरियाणा, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात तथा तमिलनाडु। इनके अलावा अन्य राज्य हैं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़ तथा पंजाब।

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