बच्चों ने कहा-अरावली को बचाकर हमें भविष्य को जीने दो

Edited By Shivam, Updated: 06 Mar, 2019 11:39 AM

faridabad arawali news

अरावली को बचाने के लिए अब बच्चे और छात्र भी आंदोलन की राह पकड़ लिए हैं। सैकड़ों की संख्या में स्कूली छात्रों ने नई दिल्ली के हरियाणा भवन में रेजिडैंट कमिश्रर से मिलकर अपना विरोध जताया। मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में छात्रों ने कहा कि हमें...

गुडग़ांव (पी मार्कण्डेय): अरावली को बचाने के लिए अब बच्चे और छात्र भी आंदोलन की राह पकड़ लिए हैं। सैकड़ों की संख्या में स्कूली छात्रों ने नई दिल्ली के हरियाणा भवन में रेजिडैंट कमिश्रर से मिलकर अपना विरोध जताया। मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में छात्रों ने कहा कि हमें हमारा भविष्य जी लेने दीजिए। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने गत एक मार्च को पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट में संशोधन पर तात्कालिक रोक लगा दिया था और इस बारे में अगली सुनवाई आगामी 8 मार्च को होनी है। पर्यावरण कार्यकत्र्ताओं का आरोप है कि इस संशोधन के लागू होते ही अरावली में बची हुई 33 फीसदी हरियाली भी खत्म हो जाएगी। दक्षिण हरियाणा में 60 हजार एकड़ अरावली की भूमि पूरी तरह बिल्डरों के कब्जे में चली जाएगी।

स्कूली बच्चों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेजे गए ज्ञापन में कहा है कि पी.एल.पी.ए. में संशोधन को वापस लिया जाए बल्कि इस कानून को फिर से जारी किया जाए जो पहले से चला आ रहा था। अरावली को डीम्ड फारैस्ट का दर्जा दिया जाए और पूरे अरावली क्षेत्र को प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र घोषित किया जाए। बच्चों ने मांग किया है कि अरावली में हो रही अतिक्रमण, खनन, और बिल्डरों की गतिविधियों को तत्काल रोका जाए। 

उल्लेखनीय है कि पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट में संशोधन से न केवल अरावली क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्य वैध हो जाएंगे बल्कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण सहित अन्य जगहों पर विचाराधीन मामले बेमानी साबित हो जाएंगे। हरियाणा विधान सभा में सरकार ने गत बुधवार को इस विधेयक में संशोधन को पारित कर दिया है जिसका पर्यावरण प्रेमियों सहित आमलोगों की ओर से जोरदार विरोध किया जा रहा है। इसे लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। 

प्रदूषण से दम घुटते शहर की मौत का फरमान बन चुका है इस संशोधन को लेकर लोगों का आरोप है कि विकास की आड़ में बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार देश की धरोहर के साथ खिलवाड़ कर रही है। नए बिल में कहा गया है कि 1966 के बाद किए गए अवैध निर्माण वैध हो जाएंगे। दूसरी तरफ साल 2005 से 2015 के बीच गुडग़ांव और आसपास भू-जल स्तर 82 फीसदी खत्म हुआ है। 

साल 2016 में यह जहंा 36.21 मीटर नीचे गया जो कि साल 2006 में 19.85 मीटर था। लगातार घटते हरियाली, अवैध तरीके से जलदोहन, भू-जल रिचार्ज के सबसे बड़े स्रोत अरावली के जल गॢतकाओं, तालाबों और गढ्डों पर अवैध अतिक्रमण या बिल्डरों का पसर जाना गुडग़ांव सहित पूरे एन.सी.आर. के लिए संकट खड़ा कर रहा है। 

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