किसान बन जाएगा मजदूर और पूंजीपति बन जाएंगे जमीन के मालिक: परमिंद्र ढुल

Edited By Shivam, Updated: 22 Oct, 2020 04:38 PM

exclusive interview of parminder dhull

भारतीय जनता पार्टी को झटका देने वाले परमिन्द्र ढुल से पंजाब केसरी ने खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा किया था, लेकिन सरकार की मंशा सबकुछ पूंजीपतियों के हवाले करने की है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द कई...

चंडीगढ़ (धरणी): भारतीय जनता पार्टी को झटका देने वाले परमिन्द्र ढुल से पंजाब केसरी ने खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा किया था, लेकिन सरकार की मंशा सबकुछ पूंजीपतियों के हवाले करने की है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द कई विधायक और पूर्व विधायक भी इस सरकार को अलविदा कहने वाले हैं। सरकार को भारी नुकसान का सामना करने पड़ेगा। 

ढुल से बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न:- डेढ़ साल पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और अब एकदम इस्तीफा, आखिर भाजपा से मोहभंग क्यों हुआ?
उत्तर:- 1 साल पहले जब भाजपा और जजपा सत्ता सता में आई, उस समय भारतीय जनता पार्टी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती थी और जजपा देवीलाल के आदर्शों पर चलने की बात कहती थी। हमें उम्मीद थी कि 2022 तक कृषि सुधारीकरण के लिए कुछ निर्णय लिए जाएंगे। संगठन को भी मैंने सुझाव दिए थे। लेकिन कोरोना काल की आड़ लेकर आनन-फानन में तीनों अध्यादेश को लोकसभा और राज्यसभा में पास कर दिया गया। जब हमने इन कानूनों को अच्छी तरह से पढ़ा तो महसूस किया कि किसान को निजी हाथों का खिलौना बनाने का रास्ता बनाया गया है।

प्रश्न:- क्या इन अध्यादेशों के विरोध में झंडा बुलंद किया गया है?
उत्तर:- ऐसा नहीं कि मैंने एकदम इस्तीफा दिया। पहले हमारी कई साथियों की मीटिंग हुई थी फिर विशेषज्ञों से बातचीत की। इस बारे में प्रदेश संगठन और खुद सरकार के मुखिया मनोहर लाल जी से भी मेरी बातचीत हुई। मैंने उनसे कहा कि एमएसपी की गारंटी लो। विधानसभा में प्रावधान लाओ जिससे मंडी बच सके। कॉन्ट्रैक्ट एक्ट में जो सेफगार्ड चाहिए वह हमें नहीं मिले हैंै। मुख्यमंत्री ने डीसी और एसडीएम के हवाले कर दिया है। तो यह तो तय है कि जिसकी सरकार होगी भविष्य में वही अपने हिसाब से करेगा। मैंने विधानसभा में भी अपनी बात रखी थी कि किसान कल्याण एवं वेतन प्राधिकरण बनाई जाए और जो कृषि मूल्य आयोग है उसके नीचे यह संस्था के रूप में काम करें। उनका हर जिले में हेडक्वार्टर होना चाहिए। ताकि किसान की हर समस्या का समाधान हो सके। निजीकरण की तरफ गठबंधन का झुकाव तय करता है कि सबकुछ पूंजीपतियों को सौंपना चाहते हैं।

प्रश्न:- पंजाब विधानसभा ने सेशन में एमएसपी से कम कीमत देने पर 5 साल की सजा का प्रावधान किया है, इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर:- गठबंधन सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इसमें प्रावधान करें। कृषि राज्य का विषय है। राज्य सरकार कृषि संबंधी लोगों को सुविधा और लाभ देने के लिए स्वतंत्र है। धारा 234 की उपधारा 2 के अंदर यह प्रावधान है उसका प्रयोग करो। पंजाब सरकार ने भी रास्ता दिखाया है और मैं कहता हूं कि हर जगह होना चाहिए।

प्रश्न:- आपकी अगली रणनीति क्या रहेगी?
उत्तर:- इस मुसीबत की घड़ी में किसान का साथ देना है और ऐसी ताकतों का साथ देना है जो किसान को सरकार के तीनों बिलों से निजात दिला सके। इन काले कानूनों को निरस्त कर सके। पुरानी व्यवस्था को बहाल कर सके। पुरानी व्यवस्था में भी एमएसपी स्वामीनाथन रिपोर्ट पर सीटू फार्मूले पर दे।

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