Edited By Rakhi Yadav, Updated: 29 Oct, 2018 09:58 AM
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के बेस कैंप पर देश का तिरंगा लहराते हुए वरिष्ठ इंजीनियर दिनेशकांत जिंदल भावविभोर हो उठे। डी.के. जिंदल (54) आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के माध्यम से अम्बाला निवासियों....
अम्बाला(ब्यूरो): दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के बेस कैंप पर देश का तिरंगा लहराते हुए वरिष्ठ इंजीनियर दिनेशकांत जिंदल भावविभोर हो उठे। डी.के. जिंदल (54) आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के माध्यम से अम्बाला निवासियों को योग साधना व प्राणायाम भी सिखाते हैं। उनका मानना है कि इस आयु में ऐसा कठिन पर्वतारोहण केवल भगवत कृपा व योग साधना के माध्यम से ही संभव हो पाया है। 12 दिनों की मुश्किल भरी यात्रा करके वे काठमांडू पहुंचे। 11 सदस्य की टीम के साथ ट्रैकिंग करते हुए दूसरे दिन वह लोकुला से 2610 मीटर की ऊंचाई पर फाकङ्क्षडग पहुंचे। तीसरे दिन 3450 मीटर पर नामचे पहुंचकर सागरमाथा नैशनल पार्क का आनंद लिया और यहां से एवरैस्ट के शिखर के भी दर्शन कर पाए।
यह एक मनोरम दृश्य था। नामचे से तिंगबोचे होते हुए फिर लगभग 4910 मीटर की ऊंचाई पर लोबुचे पहुंचे। बर्फीली हवा का सामना करते हुए हमारी टीम कदम कदम आगे बढ़ती रही। प्रतिदिन यात्रा शुरू करने से पहले योग साधना व सुदर्शन क्रिया उन्हें ऊर्जा प्रदान कर रही थी और फिर वह सुनहरा दिन उनके स्वप्न को पूरा करने वाला अविस्मरणीय दिन बना जिस दिन वे इस कठिन यात्रा के सधे हुए अंतिम पड़ाव माऊंट एवरैस्ट बेस कैंप 5364 मीटर पर देश का तिरंगा फहराने में सफल हुए।
अपने संंदेश में जिन्दल ने बार बार भगवत् कृपा काए योग शिक्षकों का अपने परिवार व दोस्तों से मिली प्रेरणा और शुभकामनाओं का धन्यवाद किया। आर्ट ऑफ लिविंग व अम्बाला निवासियों को जिंदल की इस उपलब्धि पर गर्व है। अनेक समाज सेवी संस्थाओं, गण्यमान्य लोगों ने उन्हें उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी।