बुखार से आठ बच्चों की मौत, दर्जनों अभी भी बीमार, ग्रामीणों को डेंगू की आशंका

Edited By Shivam, Updated: 12 Sep, 2021 10:57 PM

eight children die of fever dozens still ill villagers fear dengue

हथीन विधानसभा के गांव चिल्ली में रहस्यमयी बुखार के कारण पिछले 10 दिनों में आठ बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। ग्रामीण हो रही मौतों को डेंगू बुखार के कारण बता रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू बुखार से मौतों की पुष्टि नहीं की है। गांव में...

पलवल (दिनेश): हथीन विधानसभा के गांव चिल्ली में रहस्यमयी बुखार के कारण पिछले 10 दिनों में आठ बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। ग्रामीण हो रही मौतों को डेंगू बुखार के कारण बता रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू बुखार से मौतों की पुष्टि नहीं की है। गांव में हुई बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गांव की सुध ली है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब गांव में स्वास्थ्य कर्मियों की टीमें घरों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं तथा बुखार से पीड़ित लोगों की बच्चों की डेंगू और मलेरिया की जांच की जा रही है। 

उपमंडल के चिल्ली गांव में बुखार का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। गांव के दर्जनों बच्चे बुखार की चपेट में हैं। बच्चों के अलावा बड़ों में बुखार के मरीज हैं। इतना ही नहीं दस दिनों में आठ बच्चों की मौत बुखार के चलते हो गई। पिछले कई दिनों से बुखार के मरीजों की संख्या गांव में बढऩे लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जिनकी रिकवरी न होने पर मौतें हुई हैं। ऐसा अक्सर डेंगू बुखार में ही होता है। उनका कहना है कि अगर समय रहते स्वास्थ्य विभाग गांव की सुध ले लेता तो बच्चों को मौत से बचाया जा सकता था।

वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वायरल बुखार में भी प्लेटलेट्स कम होना आम बात है। वहीं गांव के सरपंच नरेश कहना है कि पिछले 10 दिनों में बुखार के कारण गांव में आठ बच्चों की मौत हो चुकी है और करीब 50 से 60 बच्चे अभी भी बुखार की चपेट में हैं, जिनका उपचार चल रहा है। 

बता दें कि गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा व गांव के लोगों की नादानी के कारण फैल रही बुखार की बीमारी बड़ा कारक हो सकती है। चार हजार की आबादी के इस गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। यहां पर स्वास्थ्य कर्मी सालों-साल तक नहीं आते, जिससे लोग जागरूक हो सकें। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल की पाइप लाइनों से रबड़ की पाइप डालकर घरों में लगाई हुई हैं। ये लाइनें दूषित पानी से होकर गुजरती हैं, जिससे घरों में सप्लाई के साथ दूषित जलापूर्ति होती है। गलियों में साफ सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं, गलियों में मच्छर पनप रहे हैं। जिसका न प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम हुए न ही ग्रामीण सफाई व्यवस्था के लिए आगे आ रहे हैं। नतीजतन लोगों को बीमार होने पर डाक्टरों पर इलाज के लिए भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है। 

ग्रामीणों का कहना है कि गांव की आबादी चार हजार के करीब है। चिल्ली गांव में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं। गांव का एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उटावड़ चार किलोमीटर दूर हैं। जिस कारण बीमार होने पर ग्रामीण सरकारी अस्पतालों की बजाए झोला छाप डॉक्टरों पर इलाज कराना पसंद करते हैं। गांवों में जागरूकता के लिए जाने वाली विभाग की टीमें कभी गांव में जाती ही नहीं।

वहीं मौके पर पहुंचे एसएमओ डॉ. विजय कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य के लिए सफाई बेहद जरूरी है। दौरे के दौरान उन्होंने वहां पर गंदगी देखी है। दूषित पानी जल जनित रोगों के लिए हानि कारक है। गांव में घर-घर जाकर बुखार से पीड़ित लोगों की जांच की जा रही है। गांव के सरपंच के घर पर उनके द्वारा एक ओपीडी भी शुरू करा दी गई है। जहां लोगों की मलेरिया, डेंगू और कोरोना की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि लोगों के घरों में टीम को पानी मे मच्छरों के लार्वा मिले हैं। हालांकि गांव में हुई बच्चों की मौतें डेंगू से हुई है, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
 

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