Edited By Deepak Paul, Updated: 15 Jul, 2018 10:46 AM
हरियाणा के प्राथमिक सहकारी भूमि विकास जहां घाटे को लेकर परेशान है तो वहीं नाबार्ड द्वारा बैंक को दिए गए 900 करोड़ रुपए की वापसी के लिए दबाव बनाने के बाद अब बैंक प्रबंधन घबराया हुआ है जिसके चलते बैंक को बंद करने के विकल्पों पर विचार चल रहा है। बैंक...
चंडीगढ़(बंसल): हरियाणा के प्राथमिक सहकारी भूमि विकास जहां घाटे को लेकर परेशान है तो वहीं नाबार्ड द्वारा बैंक को दिए गए 900 करोड़ रुपए की वापसी के लिए दबाव बनाने के बाद अब बैंक प्रबंधन घबराया हुआ है जिसके चलते बैंक को बंद करने के विकल्पों पर विचार चल रहा है। बैंक को 337 करोड़ रुपए का घाटा है। लैंड मोरगेज बैंक की राज्य में 76 शाखाएं हैं और इनसे 7 लाख 28 हजार किसान जुड़े हैं। किसानों पर बैंकों द्वारा लगभग 2600 करोड़ रुपए बकाया है। 2016-17 में 1463.21 लक्ष्य के विपरीत 173.77 रुपए की रिकवरी हुई जबकि 2017-18 में 1716.86 के विपरीत 281.64 करोड़ रुपए की रिकवरी हुई।
बैंक प्रबंधन ने जब सरकार को सारे हालात बारे सूचित किया तो वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु तथा सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर ने अपने स्तर पर जांच करवाई और जांच में यह बात सामने आई कि प्रभावशाली लोगों ने सत्ता का फायदा उठाकर बार-बार ऋण लिया और चुकाया नहीं। उसके बाद 25 बड़े डिफाल्टरों की सूची तैयार करके उनके नाम-पते सार्वजनिक किए गए। लैंड मोरगेज बैंक के अधिकारियों को रिकवरी टारगेट तय करने के निर्देश दिए गए हैं। ऋण वापस नहीं करने वाले लोगों के ट्रैक्टर की अटैचमैंट प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश भी दिए गए हैं। हरियाणा को-आप्रेटिव एक्ट 1984 की धारा 75 के तहत कर्ज का भुगतान नहीं करने वाले लोगों की जमीनें भी बेचने का प्रावधान किया जा सकता है।
कै. अभिमन्यु, वित्त मंत्री, हरियाणा
हरको बैंक के साथ लैंड मोरगेज बैंक का विलय करने का प्रस्ताव आया है। सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पिछली बैठक में जो तथ्य हमारे सामने रखे गए थे, उनके अनुसार बार-बार राजनीतिक प्रभाव वाले व्यक्तियों को ऋण दिए जाते रहे। साथ ही लोन को रि-फाइनैंस भी करवाया गया।