कन्ट्रोल बोर्ड की कड़ी निगरानी का असर, इस बार प्रदूषण ने नहीं बरपाया कहर

Edited By Manisha rana, Updated: 06 Dec, 2020 11:26 AM

effect of strict monitoring of control board pollution did not wreak havoc

बीते साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वास्थ्य विभाग से बीमार लोगों की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन इस बार नहीं मांगी। बताया गया है कि इस बार प्रदूषण का असर बीते वर्ष की अपेक्षा कम रहा...

गुडग़ांव (संजय) : बीते साल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्वास्थ्य विभाग से बीमार लोगों की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन इस बार नहीं मांगी। बताया गया है कि इस बार प्रदूषण का असर बीते वर्ष की अपेक्षा कम रहा। लिहाजा बीमारी संबंधी रिपोर्ट का इस बार कोई डिमांड नही की गई है। बताया गया है कि इस बार एनजीटी के कड़े फैसले व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी से स्थिति नियंत्रण मेंं रही। 

बीते वर्ष निजी अस्पतालों की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल प्रदूषण के कारण तकरीबन 20 बुजुर्गों की मौत हो गई थी। चिकित्सकों की मानें तो 1990 में जहां प्रदूषण मौत की तीसरी वजह माना जाता था वही वर्ष-2016 में यह एक स्थान ऊपर पहुंचकर दूसरे पर पहुंच गया था।  शहर की हवाओं में प्रदूषण का सबसे ज्यादा स्तर दिवाली बाद हुआ। चिकित्सकों के मुताबिक दिवाली बाद कुछ दिनों तक यहां की फिजाओं में खुली सांस लेने के भी काबिल नही रह गई थी। जिसे गंभीरता से लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गुडग़ांव के सिविल अस्पताल में इससे प्रभावित मरीजों का डाटा मांगा था। जिसमें यह भी कहा गया था प्रदूषण की वजह से कितने मरीजों की मौत हुई थी। जिसका सिविल अस्पताल द्वारा डाटा तैयार कर कन्ट्रोल बोर्ड को भेजा गया था। 

मौत व अपंगता के लिए जिम्मेदार 
चिकित्सकों की मानें तो स्टेट डिजीज बर्डेन रिपोर्ट के मुताबिक 1990 में वायु प्रदूषण हरियाणा में मृत्यु और अपंगता के लिए तीसरा बड़ा कारण था। जो वर्ष 2016 में एक पायदान उछलकर दूसरे स्थान परन पहुंच गया। प्रदेश के 10.9 प्रतिशत लोग डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर्स (डीएएलवाई) में जीने के लिए मजबूर हैं। जबकि राज्य में 70 साल से अधिक उम्र के 18.9 प्रतिशत लोगों की मौत का कारण बनती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन था चिंतित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्युएचओ) के मुताबिक वायु प्रदूषण दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरण सम्बंधी फैक्टर है जिसने 2012 में दुनिया भर में 7 मिलियन लोगों की जान ली। जिसका अर्थ है कि टोटल ग्लोबल डेथ में हर 8वें मामले के लिए यह जिम्मेदार रहा। दुनिया भर में होने वाली समय पूर्व मौतों के एक तिहाई मामले प्रदूषित हवा को जिम्मेदार बताया गया। 
 

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