पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले में ई.डी. की जांच से अधिकारियों के फूले हाथ-पैर

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Jul, 2020 09:03 AM

e d in post metric scholarship scam investigations

हरियाणा में एस.सी./बी.सी. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर जहां सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही, वहीं विपक्ष के दबाव...

चंडीगढ़ (बंसल) : हरियाणा में एस.सी./बी.सी. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर जहां सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही, वहीं विपक्ष के दबाव के चलते सरकार ने इस मामले की जांच विजीलैंस विभाग को सौंप दी थी लेकिन विजीलैंस जांच के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा इस मामले में जांच शुरू करने से विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ-पैर फूल गए हैं। 

इतना ही नहीं,मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस मामले की जांच पर लगातार निगाह रखी जा रही है कि कहीं जांच की आंच किसी सत्ताधारी नेता तक न पहुंच जाए। प्रवर्तन निदेशालय जांच दौरान उन जिलों से भी रिकार्ड तलब कर रहा है जहां इस घोटाले को अंजाम दिया गया। निदेशालय के तरफ से उन जिलों के अधिकारियों व शिक्षण संस्थानों को पत्र भेजकर पूरी डिटेल मांगी गई है। विभाग के मुख्यालय में नियुक्त अधिकारियों को ई.डी. के चंडीगढ़ कार्यालय में रिकार्ड सहित कई बार तलब किया जा चुका है। 

विभाग के तत्कालीन महानिदेशक संजीव वर्मा ने किया था घोटाले का पर्दाफाश 
इस घोटाले का पर्दाफाश विभाग के तत्कालीन महानिदेशक संजीव वर्मा ने किया था। जब इस मामले में उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वह सत्याग्रह पर बैठ गए थे और उसके बाद सरकार ने इस मामले में विजीलैंस जांच के आदेश जारी कर दिए थे। 

ई.डी. की जांच के लिए विजीलैंस ब्यूरो ने ही लिखा था पत्र
करोड़ों रुपए के घोटाले के चलते राज्य सतर्कता ब्यूरो ने ई.डी. को पत्र लिखकर मामले की जांच के लिए लिखा था कि कहीं इतनी भारी राशि को लेकर मनी लांङ्क्षड्रग तो नहीं हुई है और उनके पत्र के बाद ई.डी. ने मामले की जांच शुरू कर दी। ई.डी. द्वारा 2014-15 से लेकर 2018-19 तक जारी हुई राशि में घोटाले को लेकर जांच की जाएगी। प्रवर्तन निदेशालय ने मार्च में एस.सी./बी.सी. विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर रोहतक में विजीलैंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए मामले में जांच का हवाला देते हुए ब्यौरा तलब किया था। ई.डी. ने विभाग से विभागीय कमेटी द्वारा की जांच की कापी, तत्कालीन ए.सी.एस. द्वारा लिखे गए नोट की कापी व जांच संबंधी अन्य जानकारियां पूरे ब्यौरे सहित मांगी थी। 

कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले से जुड़े शिक्षण संस्थानों को पत्र लिखकर ब्यौरा मांगा है, जिसमें छात्र का नाम, पता, कालेज इनरोलमैंट नंबर, कोर्स नंबर, आधार नंबर, फोन नंबर, संबंधित वर्ष में विद्यार्थी के हाजिरी रजिस्टर की कापी, छात्रों द्वारा दी गई फीस, कालेज की बैंक डिटेल, कालेज द्वारा इन सालों में की गई जायदाद व सामान का ब्यौरा और कालेज के अकाऊंट बारे पूरा ब्यौरा मांगा है। दूसरी ओर विभाग से भी ऐसा ही ब्यौरा तथा पूरी डिटेल की किसी अधिकारी की मिलीभगत तथा किसी अधिकारी व कर्मचारी के हस्ताक्षर से राशि जारी करने का अनुमोदन करना आदि शामिल है।

हरियाणा के कई जिलों में हुआ घोटाला 
हरियाणा के कई जिलों सोनीपत, रोहतक, झज्जर, भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा तथा चरखी दादरी जिलों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर विजीलैंस जांच चल रही है तथा अलग-अलग स्थानों पर मामले में केस दर्ज है। हिसार स्थित स्टेट विजीलैंस कार्यालय ने संबंधित विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा व चरखी दादरी जिलों में 17 करोड़ 25 लाख 57 हजार 576 रुपए के इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। 

अधिकारियों-कर्मचारियों पर मिलीभगत करके छात्रों के खातों में जाने वाली राशि को आधार नंबर बदलकर, फर्जी बैंक खाता खुलवाकर घोटाले का अंजाम दिए जाने का आरोप था। विजीलैंस ब्यूरो ने सोनीपत, रोहतक और झज्जर जिले में पिछले तीन साल के आंकड़ों की जांच में पाया कि 26 करोड़ रुपए की राशि फर्जी (अपात्र) लाभार्थियों के बीच बांटी गई है। कुछ छात्रों व संस्थाओं के माध्यम से अलग-अलग गांवों से अनुसूचित जाति के छात्रों के फार्म भरवाकर उनके आधार कार्डों, मूल प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि की फोटो प्रतियां हासिल कर ली।

कुछ छात्रों के आधार नंबरों से छेड़छाड़ करके भी फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। 1981 में इस योजना को केंद्र सरकार ने शुरू किया था और वर्ष 2015 तक इसे ऑफलाइन लागू किया जा रहा था। बाद में वर्ष 2016 से योजना को ऑनलाइन किया गया। विजीलैंस जांच में पता चला कि पीएमस योजना के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में मौजूद लाभार्थियों के आधार और बैंक अकाऊंट नंबर से छेड़छाड़ कर फर्जी खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया। 

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