Edited By Deepak Paul, Updated: 29 Jan, 2019 05:27 PM
प्रदेश में स्वाईन फ्लू के साथ- साथ टीबी की बीमारी ने भी पैर पसारने शुरु कर दिए हैं। जिसके बढ़ते जा रहे आकंड़े को देखकर स्वास्थ्य विभाग के होश उड़ गए। बताया जा रहा है कि मेदंता अस्पताल में एक साल से टीबी की बिमारी से पीड़ित लगभग 90 लोगों की मौत हो...
करनाल(केसी आर्य): प्रदेश में स्वाईन फ्लू के साथ- साथ टीबी की बीमारी ने भी पैर पसारने शुरु कर दिए हैं। जिसके बढ़ते जा रहे आकंड़े को देखकर स्वास्थ्य विभाग के होश उड़ गए। बताया जा रहा है कि मेदंता अस्पताल में एक साल से टीबी की बिमारी से पीड़ित लगभग 90 लोगों की मौत हो चुकी है। इन आकंड़ों के मद्देनजर करनाल में 2019 में टीबी मुक्त ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग ने गुरुग्राम मेदांता से टाइअप किया है।
जो कि जिले के 6 कस्बों की पीएचसी, सीएचसी में जाकर लोगों की जांच करेगी, ताकि अधिक से अधिक टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग कर उनका इलाज करवाया जा सके! ताकि जिले को जल्द से जल्द टीबी मुक्त किया जा सके। हरियाणा सरकार की और से शुरुआत में जिले के दो कस्बों असंध और नीलोखेड़ी को मार्च 2019 तक टीबी मुक्त करने का ड्रीम प्रोजेक्ट रखा गया था, लेकिन केंद्र सरकार की और से समय को बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में दो जिलों अंबाला और करनाल को शामिल कर लिया गया। जिन्हें जून 2019 तक टीबी मुक्त करना है।
अस्पताल की हालत खस्ता
हालाकि टीबी मरीजों की बढ़ रही तादादा के बाद भी कल्पाना चावला अस्पताल की हालत खस्ता है। जिनके लिए कोई वार्ड नहीं है। ऐसे में यदी किसी मरीज की हालत गंभीर है तो उसे इलाज के लिए रोहतक या चंडीगढ़ भेजा जाता है। जहां पहुंचने के लिए लगभग साढ़े तीन घंटे लगते है, जिसके बीच मरीज दम तोड़ देता है। वहीं
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में हर साल करीब 2500 से 2600 लोग टीबी पॉजिटिव मिलते हैं। इसके चलते साल 2018 में जिले में टीबी मरीजों की संख्या 2600 के पार मिली है।
साल 2013 से 2018 तक टीबी के मरीजों की संख्या
साल- मरीजों की संख्या
2013- 2533
2014- 2577
2016- 2560
2017- 2559
2018- 2628