हरियाणा में नसबंदी ऑपरेशन फेल होने पर मिलेगी दोगुना क्षतिपूर्ति राशि

Edited By Deepak Paul, Updated: 06 Sep, 2018 11:08 AM

due to the failure of sterilization operation in haryana

हरियाणा सरकार ने परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए नसबंदी के आप्रेशन फेल होने पर क्षतिपूर्ण राशि को दोगुना कर दिया है। पहले नसबंदी के आप्रेशन फेल होने पर हर्जाने के तौर पर पीड़ित को सिर्फ 30 हजार रुपए दिए जाते थे। अब यह राशि 60 हजार रुपए कर दी गई...

चंडीगढ़(अर्चना): हरियाणा सरकार ने परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए नसबंदी के आप्रेशन फेल होने पर क्षतिपूर्ण राशि को दोगुना कर दिया है। पहले नसबंदी के आप्रेशन फेल होने पर हर्जाने के तौर पर पीड़ित को सिर्फ 30 हजार रुपए दिए जाते थे। अब यह राशि 60 हजार रुपए कर दी गई है। हैल्थ एक्सपर्टस की मानें तो हरियाणा में प्रजनन दर को कम करने के उद्देश्य से परिवार नियोजन के आप्रेशंस को बढ़ावा दिया जा रहा है। 20 साल पहले राज्य की प्रजनन दर (प्रति महिला बच्चों की जन्म दर) 3.2 से 3.3 थी। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (चार) में प्रजनन दर 2.7 आंकी गई थी,

जबकि नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (तीन) में प्रजनन दर 2.1 तक पहुंच गई है और हरियाणा सरकार इस दर को 1.5 से 2.0 के बीच लाना चाहती है। वर्ष 2016-17 में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने नसबंदी के आप्रेशंस फेल होने पर पीड़ित को दी जाने वाली क्षतिपूर्ण राशि को बढ़ाए जाने के विभिन्न राज्यों को निर्देश जारी किए थे। हरियाणा ने इन निर्देशों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2018 से परिवार नियोजन के लिए करवाए जाने वाले आप्रेशंस के असफल होने पर क्षतिपूर्ति राशि को बढ़ाने का फैसला कर लिया है। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2013-14 से लम्बित असफल नसबंदी आप्रेशंस के 495 मामलों में हर्जाना राशि का भुगतान भी कर दिया है।  

सरकारी अस्पतालों ने प्राइवेट के मुकाबले ज्यादा किए नसबंदी आप्रेशंस
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की मानें तो 2018-19 में अगस्त तक राज्य के विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में नसबंदी के 11699 आप्रेशन किए जा चुके हैं, जबकि वर्ष 2017-18 के दौरान 17991 आप्रेशन किए गए थे। उधर, प्राइवेट अस्पतालों में वर्ष 2018-19 में अगस्त तक सिर्फ 2304, जबकि वर्ष 2017-18 में 3626 नसबंदी आप्रेशन किए गए। जुलाई में विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित पखवाड़े में 1251 महिलाओं और 199 पुरुषों ने परिवार नियोजन के आप्रेशन करवाए। 502 महिलाओं ने इंजेक्शन लगवाकर खुद को 3 महीने के लिए गर्भधारण से दूर किया। 5974 महिलाओं ने गर्भधारण से बचने के लिए इंट्रायूटेरिन डिवाइस लगवाया और 2829 महिलाओं ने बच्चे को जन्म देने के बाद परिवार नियोजन के लिए डिवाइस अपनाया। 

जुलाई में लगाना शुरू किया अंतरा इंजेक्शन
हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में इंजैक्टिबल कांट्रासेपटिव (अंतरा इंजेक्शन) लगाना शुरू कर दिया है। यह ऐसा इंजेक्शन है, जो महिला को 3 महीने के लिए गर्भधारण से सुरक्षित रखेगा। महिला जब परिवार बढ़ाना चाहे, वह इंजैक्शन लगवाना बंद कर सकती है। सरकारी अस्पतालों में यह इंजैक्शन मुफ्त लगाया जा रहा है। इंजेक्शन लगाए जाने के लिए पहले नॄसग और पैरामैडीकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई।

डा.ऊषा गुप्ता, डायरैक्टर हैल्थ सर्विस
देश की आबादी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लोगों को परिवार नियोजन के तरीकों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आज भी ग्रामीण तबके की महिलाओं के घर उन्हें परिवार नियोजन से दूर रखते हैं। हरियाणा में आज भी ऐसे इलाके हैं जहां सास और पति महिला को परिवार नियोजन अपनाने नहीं देते। ऐसी महिलाओं के लिए हाल ही में इंजैक्टिबल कांट्रासेपटिव इंजेक्शन लांच किया गया है। इस इंजेक्शन का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इंजेक्शन लगवाने के बाद 3 महीने तक महिला गर्भधारण से सुरक्षित रहती है। जब वह चाहे, तब इंजैक्शन लगवाना छोड़ सकती है। हरियाणा ने नसबंदी के आप्रेशन फेल होने पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ण राशि को भी दोगुना कर दिया है।
 

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