हांसी मर्डर केस: सुसाइड करने वाले आरोपी DSP की इलाज के दौरान मौत

Edited By Updated: 27 Mar, 2017 11:55 AM

dsp bhagvan das during the treatment of death

हांसी के शेखपुरा गांव में 13 मार्च फाग के दिन हुई फायरिंग में 3 लोगों की मौत के मामले में आरोपी डी.एस.पी. भगवान दास की इलाज के 13वें दिन मौत हो गई है।

पंचकूला (उमंग श्योराण):हांसी के शेखपुरा गांव में 13 मार्च फाग के दिन हुई फायरिंग में 3 लोगों की मौत के मामले में आरोपी डी.एस.पी. भगवान दास की इलाज के 13वें दिन मौत हो गई है। डी.एस.पी. ने पंचकूला में अपनी सर्विस रिवाल्वर से 15 मार्च को गोली मार ली थी। उनका पंचकूला के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। सुबह लगभग 10 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। गौरतलब है कि आरोप लगने के बाद एक दिन बाद ही डीएसपी को हिसार हेडक्वार्टर से पंचकूला ट्रांसफर कर दिया गया था।

ये है पूरा मामला
फाग वाले दिन पुरानी रंजिश को लेकर सोमवार सुबह 2 गुटों में हुई फायरिंग में 3 की जान चली गई और 3 घायल हो गए। एफ.आई.आर. में हिसार में तैनात डी.एस.पी. हैडक्वार्टर भगवानदास सहित 24 लोगों को नामजद करते हुए 28 पर केस दर्ज किया गया। पुलिस ने ए.एस.पी. के नेतृत्व में एस.आई.टी. गठित की है। 9 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की है। पीड़ित पक्ष डीएसपी की गिरफ्तारी के बाद ही अस्पताल से शव उठाने पर अड़ा रहा। एसपी राजेंद्र मीणा के समझाने पर भी मामला शांत नहीं हुआ। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि बुधवार सुबह 9 बजे तक डी.एस.पी. की गिरफ्तारी नहीं हुई तो शवों को आई.जी. कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद आरोपी डी.एस.पी. भगवानदास का तबादला पंचकुला मुख्यालय कर दिया। गांव और अस्पताल में ड्यूटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किया गया। 

चुनावी रंजिश से जोड़कर देखा जा रहा मामला
तिहरे हत्याकांड को चुनावी रंजिश से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले साल जनवरी में डी.एस.पी. भगवान दास की बेटी पूजा ने सरपंची के चुनाव में बलबीर प्रधान को हराया था। इसके अलावा दोनों पक्षों में डेरा राजूनाथ के महंत फूलनाथ पर दर्ज हुए मामले को लेकर भी तनाव चल रहा था। 

मृतक के भाई ने लगाए थे ये आरोप
मृतक रामकुमार के बेटे संजय ने बताया कि सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे उसका भाई संदीप मुकेश उर्फ किन्नू घर की तरफ रहे थे। रास्ते में दूसरे गुट के संदीप पुत्र सुभाष ने गाली-गलौच करनी शुरू कर दी। लेकिन उसने उसके पिता रामकुमार ने समझाकर दोनों को घर भेज दिया। 

आरोप है कि दोपहर करीब ढाई-तीन बजे संजय अपने भाई अमित,देव,मुकेश उर्फ किन्नू पिता रामकुमार के साथ घर पर बैठे थे। इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया। रामकुमार ने जब दरवाजा खोला तो घर के सामने नीली बत्ती लगी सफेद रंग की कार में डी.एस.पी. भगवानदास बैठे थे। आरोप है कि डी.एस.पी. ने कहा कि रामकुमार इसके परिवार तथा साथियों को खत्म कर दो,बाकी मैं संभाल लूंगा। हमलावरों ने राइफल,पिस्तौल,देसी कट्टे से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। रामकुमार की मौके पर ही मौत हो गई। फायरिंग की आवाज सुनकर बलबीर,भतीजे संदीप,राजेश के अलावा प्रदीप,मुकेश दयानंद भी वहां गए। हमलावरों ने उन पर भी गोलियां चलाईं जिससे मुकेश प्रदीप की मौत हो गई। राजेश,संजय और मुकेश उर्फ किन्नू घायल हो गए। हमलावर बलबीर प्रधान को मारने की धमकी देते हुए चले गए।

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