क्या व्यक्ति की कॉल्स इंटरसेप्ट करना उनकी निजता पर हमला है: हाईकोर्ट

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 02 May, 2018 08:18 AM

does intercepting a person s calls to attack his privacy

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी इच्छा स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह इस तथ्य को जांचना चाहते हैं कि क्या सरकार द्वारा निजी लोगों की कॉल रिकॉर्ड करना बिना उनके खिलाफ आपराधिक मामले या देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता की जानकारी के औचित्यपूर्ण है?...

चंडीगढ़(बृजेन्द्र): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी इच्छा स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह इस तथ्य को जांचना चाहते हैं कि क्या सरकार द्वारा निजी लोगों की कॉल रिकॉर्ड करना बिना उनके खिलाफ आपराधिक मामले या देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता की जानकारी के औचित्यपूर्ण है? हरियाणा के वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु की कोठी पर जाट आंदोलन के दौरान हुई आगजनी की घटना में आरोपी बनाए गए योगेश राठी की नियमित जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है। जस्टिस राजन गुप्ता ने यह भी साफ किया कि वह इस बात की भी जांच करना चाहती है कि क्या यह व्यक्ति की निजता और निजी स्वतंत्रता पर हमला तो नहीं।

हाईकोर्ट ने हरियाणा के एडवोकेट जनरल से पूछा कि स्पष्ट करें कि राज्य द्वारा कोई मापदंड तय किया गया है। जिसके तहत आई.जी.पी. लोगों की कॉल्स इंटरसैप्ट (सुन) कर सकें, वहीं पूछा है कि क्या संबंधित मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियों को इसे लेकर आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाई गई थी। ए.जी. ने इस पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए समय मांगा है। 

इस पर हाईकोर्ट ने 10 दिन का समय देते हुए मई की मध्य की तारीख में सुनवाई के लिए तय की है। इससे पूर्व मामले में हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या कॉल इंटरसैप्ट के दौरान इंडियन टैलीग्राफ एक्ट के प्रावधानों की पालना की गई थी। वहीं क्या इसके लिए दिशा-निर्देशों की पालना की गई थी। सी.बी.आई. के ए.एस.पी. ने मामले में राज्य पुलिस द्वारा आरोपी की कॉल इंटरसैप्ट की बात एफिडैविट में कही थी। कै. अभिमन्यु कोठी आगजनी मामले की जांच सी.बी.आई. के पास है।

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