ईमानदार सरकार में ‘बेईमान’ अफसर

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 25 May, 2018 07:55 AM

dishonest  officer in honest government

अनाज मंडियों में करीब 30 से 40 साल तक दुकानें चला रहे आढ़तियों को अब अफसरों की तानाशाही का सामना करना पड़ रहा है। इन आढ़तियों से नए सिरे से कंपलिशन सर्टीफिकेट मांगे जा रहे हैं। सभी तरह के कर भुगतान करने के बावजूद आढ़तियों ......

अम्बाला(वत्स): अनाज मंडियों में करीब 30 से 40 साल तक दुकानें चला रहे आढ़तियों को अब अफसरों की तानाशाही का सामना करना पड़ रहा है। इन आढ़तियों से नए सिरे से कंपलिशन सर्टीफिकेट मांगे जा रहे हैं। सभी तरह के कर भुगतान करने के बावजूद आढ़तियों को कुछ अधिकारियों की ओर से परेशान किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से अनाज मंडियों में आढ़तियों को जमीन अलॉट की गई थी। जमीन अलॉट होने के बाद आढ़तियों ने अपने प्रतिष्ठान भी स्थापित कर लिए थे। प्रदेश की विभिन्न अनाज मंडियों में ऐसे हजारों प्रतिष्ठान हैं। 

आढ़तियों ने जमीन अलॉट होने के बाद दुकानें बना ली थीं। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। अब इन आढ़तियों से कंपलिशन सर्टिफिकेट मांगे जा रहे हैं और वह भी नई डेट में। जिन आढ़तियों को करीब 40 साल पहले सरकार की ओर से जमीन अलॉट की गई थी, उन्होंने अपने प्रतिष्ठान व मकान उस जमीन पर बना लिया थे। अब अधिकारी उन्हें नई शर्तों के साथ कंपलिशन सर्टिफिकेट देने के लिए मजबूर कर रहे हैं। 

जो आढ़ती पुरानी कंपलिशन सर्टिफिकेट देते हैं, उन्हें भी इस बात के लिए मजबूर किया जाता है कि नई डेट में सर्टीफिकेट जारी किया जाए। आलम यह है कि आढ़ती इस मामले में कुछ भी नहीं समझ पा रहे। वर्षों से मंडियों में रह रहे आढ़तियों को नए सिरे से कंपलीशन सर्टिफिकेट देने से बचने के लिए ही लाखों रुपए सुविधा शुल्क के रूप में देने पड़ रहे हैं। 

दशकों से दुकान व प्रतिष्ठान बनाकर बैठे व्यापारियों से जबरदस्ती यह लिखवा कर लिया जाता है कि उन्होंने अभी प्रतिष्ठान स्थापित किया है। मार्कीट कमेटी की तरफ से दशकों से चल रही दुकानों को यह बताकर रिजैक्ट किया जाता है कि उन्होंने समय पर निर्माण नहीं किया। उसके बाद नॉन कंस्ट्रक्शन के नाम पर आढ़तियों से वसूली की जाती है। 

यह खेल काफी समय से चल रहा है, लेकिन सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। 40 साल से बनी हुई दुकानों का आज की तारीख में बना हुआ दिखाया जा रहा है। सरकार आंखे बंद किए हुए है और भ्रष्ट अधिकारी व्यापारियों को लूटने में लगे हुए हैं। यह शायद प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला है। व्यापारियों को परेशान करने के लिए अघिकारी तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। 


 

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