शिक्षा निदेशालय ने जारी किए आदेश, निजी स्कूल के बच्चों को मिलेंगी फ्री ट्रांसपोर्ट की सुविधा

Edited By Isha, Updated: 06 Nov, 2019 11:24 AM

directorate of education issued orders school children free facility

नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों में पढऩे वाले जरूरतमंद बच्चों को अब ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। इसको लेकर शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी कि ए है। अगर कोई स्कूल इसकी.....

फरीदाबाद (दीपक पांडेय) : नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों में पढऩे वाले जरूरतमंद बच्चों को अब ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। इसको लेकर शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी कि ए है। अगर कोई स्कूल इसकी अवेहलना करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय ने स्कूलों से यह भी कहा है कि वह निजी पब्लिकेशन की किताब खरीदने के लिए दवाब नहीं बना सकते हैं। इस योजना से 2500 से अधिक छात्रों को लाभ मिलेगा। फरीदाबाद में सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त 120 से अधिक स्कूल हैं।

जबकि हरियाणा बोर्ड मान्यता प्राप्त करीब 500 स्कूल हैं। यह नियम 134ए के तहत 2500 से अधिक छात्र  विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहे हैं। इनके अभिभावकों को अक्सर शिकायत रहती है कि गरीबी रेखा में दाखिला कराने के एवज में उनके बच्चों को अक्सर परेशान किया जाता है। उन पर कई तरह का दवाब बनाया जाता है। उनसे ट्रांसपोर्ट का चार्ज लिया जाता है। जो स्कूल फीस के बराबर रहता है। इसलिए उनकी परेशानी बढ़ जाती है।

मिशन तालीम के पदािधकारी एकरामुल हक का कहना है कि नियम-134ए के तहत कई ऐसे छात्र हैं, जिनका स्कूल घर से 10 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर है। ऐसे में उन्हें स्कूल पहुंंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें बस, ऑटो,  निजी संसाधन से स्कूल पहुंचना पड़ता है। इसमें गरीबों की मोटी रकम तो खर्च हो ही रही है। उनकी परेशानी बढ़ रही है। कई छात्र को पैसे नहीं होने और दूर होने के चलते स्कूल भी नहीं जा पाते।

इसके बाद स्कूल में हाजिरी कम होने चलते नाम तक कटने की नौबत आ जाती है।साधन के अभाव में कई नहीं लेते  दाखिले : एकरामुल हक के अनुसार निजी स्कूलों में 134ए के तहत बच्चों को दािखले तो मिल जाते हैं, लेकिन उन्हें ट्रांसपोर्टेशन की सुिवधा नहीं मिल पाती है। ऐसे में अभिभावक बच्चों को दािखला कराने से ही पीछे भी हट जाते हैं। इसके अलावा जो अभिभावक अपने बच्चों को दाखिला स्कूलों में भी करा देते हैं। वह कुछ दिन में अपना नाम वहां से कटवा लेते हैं। यह समस्या हर साल देखने को मिलती है।

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