दीपेंद्र हुड्डा ने करनाल की जनसभा में पारित करवाया सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

Edited By Isha, Updated: 04 Apr, 2021 04:49 PM

dipendra hooda passed a no confidence motion against the government

आज करनाल के जाट भवन में आयोजित किसान-मजदूर व्यापारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार ने हरियाणा विधानसभा में भले ही विश्वासमत जीत लिया हो, लेकिन जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है

चंडीगड़(चन्द्र शेखर धरणी): आज करनाल के जाट भवन में आयोजित किसान-मजदूर व्यापारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार ने हरियाणा विधानसभा में भले ही विश्वासमत जीत लिया हो, लेकिन जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। उन्होंने भरी सभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। उन्होंने कहा कि करीब 2 साल पहले जिस पार्टी को प्रदेश में 10 में से 10 लोकसभा सीटें मिली थी, उस पार्टी के नेता आत्मविश्लेषण करें कि 2 साल में ही ऐसे हालात कैसे बन गये कि अब उनके नेता, मंत्री गांव में ही नहीं घुस पा रहे। उन्होंने जनता से सवाल किया कि प्रजातांत्रिक प्रणाली में जो लोग जनता के बीच जाते हुए डरते हों, क्या उनको एक दिन भी सत्ता में बने रहने का अधिकार है?

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार के 10 साल के शासनकाल में हर वर्ग खुशहाल और खुश था। आज हर वर्ग परेशान और अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उस समय फसलों के अच्छे रेट मिलने के कारण किसान कर्ज मुक्त हो गया था, मजदूर को अच्छी और आसानी से मजदूरी मिल जाती थी। छोटे व्यापारी का जो गल्ला नोटों से भरा रहता था आज उसमें सिक्के भी नहीं हैं। हमारी सरकार के समय किसान अपनी फसल बेचकर नोटों से जेब भरकर घर आता था आज वही किसान मंडियों से खाली जेब वापस घर आ रहा है।

दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि पिछले 4 महीने से किसान और मजदूर शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर बैठे हैं। खुद तकलीफ झेल रहे हैं, लेकिन किसी को तकलीफ नहीं होने दे रहे। सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद हुए 2 महीने से ज्यादा समय बीत गया लेकिन सरकार अपना अहंकारी रवैया छोड़ने तक को तैयार नहीं है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वो स्थिति की गंभीरता को समझे और किसानों से तुरंत बात कर उनकी मांगों को माने, गतिरोध समाप्त कराए। इस समस्या का समाधान लाठीचार्ज नहीं, किसानों से बातचीत से ही निकलेगा। 

 हुड्डा कहा कि देश की आजादी के बाद इतना बड़ा शांतिपूर्ण और अनुशासित आंदोलन किसी ने नहीं देखा है। चार महीनों में 300 से ज्यादा शव अपने-अपने गांवों में लौट चुके हैं मगर फिर भी किसानों ने अपना संयम नहीं खोया, अपना अनुशासन नहीं तोड़ा। सरकार में बैठे नेता, मंत्री लगातार इन्हें अपशब्द कह रहे हैं, इनके संघर्ष और कुर्बानी का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने जब संसद में किसानों के परिवारों के प्रति संवेदना के दो शब्द कहने की बात उठायी तो बहुमत के घमंड में सरकार ने उसे भी नहीं माना। हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निर्देश पर किसान आंदोलन में अपनी जान कुर्बान करने वाले हर किसान के परिवार को कांग्रेस विधायक दल ने अपनी तरफ से निजी तौर पर 2 लाख रुपये की मदद देने का काम किया। दीपेंद्र हुड्डा ने एक बार फिर दोहराया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही किसान आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वाले प्रत्येक परिवार को आर्थिक मदद व सरकारी नौकरी दी जायेगी। 

उन्होंने आगे कहा कि सरकार तीनों कानून रद्द करे और जुबानी नहीं एमएसपी की कानूनी गारंटी दे। क्योंकि, पहले भी सरकार ने काफी सारे जुबानी वायदे किये और उनको पूरा नहीं किया। इसलिये सरकार पर भरोसा टूट चुका है और किसी को उसकी बात पर यकीन नहीं है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अपनी प्रजा की बात मानने से सरकार छोटी नहीं होगी। अहंकार छोड़कर किसानों की बात माने सरकार। इतिहास में बड़े-बड़ों का घमंड चकनाचूर हुआ है। हम सड़क से लेकर संसद तक और चौपाल से लेकर विधानसभा तक किसान के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे। 

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की पूर्ण विफलता के कारण हरियाणा से उद्योग और व्यापार पलायन कर रहे हैं। असली चिंता का विषय ये है कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि हरियाणा प्रदेश में बेरोजगारी दर देश में सर्वाधिक हो। क्योंकि, इस प्रदेश ने दिल्ली को तीन तरफ से घेर रखा है। 2012-13 में हरियाणा प्रति व्यक्ति निवेश में देश में नंबर 1 पर था यानी कि रोजगार में नंबर 1 था। सबसे ज्यादा आर्थिक विकास, निवेश हरियाणा में हो रहा था। दूर-दूर से प्रदेशों के लोग हरियाणा की फैक्ट्रियों में आकर काम करते थे। आज यूपी और बिहार से भी ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में है। इस सरकार में निवेश का वातावरण इस कदर खराब हो गया है कि गुड़गांव, रोहतक, बावल, फरीदाबाद, जैसे औद्योगिक इलाकों में फैक्ट्रियां आने की बजाय एक-एक कर पलायन कर रही हैं। ये स्थिति हरियाणा के भविष्य को लेकर अत्यंत चिंतनीय है।

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