दीपावली पर समाप्त हुआ देवीलाल परिवार का सियासी बनवास

Edited By Isha, Updated: 29 Oct, 2019 11:08 AM

devi lal family s political exile ended on diwali

हरियाणा में दीपावली के दिन दुष्यंत चौटाला द्वारा उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही जहां प्रदेश के सबसे बड़े सियासी घराने देवीलाल परिवार का राजनीतिक बनवास खत्म हो गया है तो वहीं ताऊ के इस कुनबे ने लंबे संघर्ष के बीच

डेस्क (संजय अरोड़ा) हरियाणा में दीपावली के दिन दुष्यंत चौटाला द्वारा उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही जहां प्रदेश के सबसे बड़े सियासी घराने देवीलाल परिवार का राजनीतिक बनवास खत्म हो गया है तो वहीं ताऊ के इस कुनबे ने लंबे संघर्ष के बीच करीब साढ़े 14 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की है। कोई जमाना था जब हरियाणा में चौ. देवीलाल के नाम का जादू प्रदेश के लोगों के सिर चढ़कर बोलता था और देवीलाल की पहचान जननायक के रूप में होती थी। 
1987 में चौ. देवीलाल ने हरियाणा में कांगे्रस के खिलाफ समूचे विपक्ष को  एक मंच पर लाकर चुनाव लड़ा और विधानसभा की 90 में से 85 सीटें जीतकर एक नया रिकार्ड कायम किया था। इसके बाद भले ही चौ. देवीलाल मुख्यमंत्री और फिर उपप्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर तो पहुंच गए मगर उनके परिवार व पार्टी को कभी वैसा जन समर्थन हासिल नहीं हुआ। उप मुख्यमंत्री बनने के बाद आज अपने गृह नगर सिरसा पहुंचने पर दुष्यंत चौटाला व उनके पिता अजय सिंह चौटाला का सिरसा स्थित उनके आवास पर समर्थकों द्वारा जमकर स्वागत किया गया।


गौरतलब है कि 1991 से 1999 तक हरियाणा में भजन लाल व बंसीलाल का शासन रहा और उसके बाद सन् 2000 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनैलो ने 47 सीटें हासिल करके सरकार बनाई जो पूरा कार्यकाल चली और फिर 2005 से देवीलाल परिवार से सत्ता दूर होती चली गई। 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की और इनैलो मात्र 9 सीटों पर सिमट कर रह गई। इसके बाद 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई और निर्दलियों के सहारे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने फिर सरकार बना ली। इनैलो इस चुनाव में 31 सीटें जीत पाई। इसी प्रकार 2014 के विधानसभा के चुनाव में इनैलो फिर पिछड़ गई और इनैलो व सहयोगी दल शिअद को केवल 20 सीटें ही हासिल हुई और इस बार भाजपा 47 सीटें जीत कर अपने बूते सरकार बना गई। 

सबसे कम उम्र में सांसद, उप-मुख्यमंत्री बने दुष्यंत
जींद (जसमेर): उचाना कलां से जे.जे.पी. के टिकट पर चुनाव लड़कर भाजपा की प्रेमलता को पराजित करने वाले जे.जे.पी. संस्थापक दुष्यंत चौटाला के नाम 2 अनोखे रिकार्ड दर्ज हो गए हैं। दुष्यंत चौटाला प्रदेश में सबसे कम उम्र में 2014 में लोकसभा सांसद चुने गए थे तो अब वह प्रदेश में सबसे कम उम्र के उप-मुख्यमंत्री भी बन गए हैं। 
दुष्यंत चौटाला 2014 में जब हिसार से इनैलो की टिकट पर लोकसभा सदस्य चुने गए थे तब उनकी उम्र 25 साल से कुछ महीने ही जयादा थी।  दुष्यंत चौटाला के नाम सबसे कम उम्र में हरियाणा से सांसद बनने का रिकार्ड 2014 में दर्ज हो गया था। बहुत कम उम्र में सांसद बनने के बावजूद दुष्यंत चौटाला ने लोकसभा में अपनी मौजूदगी खूब दर्ज करवाई थी और वह पिछली लोकसभा के बैस्ट युवा सांसद के खिताब से नवाजे गए थे। 
अब दुष्यंत चौटाला के नाम प्रदेश में सबसे कम उम्र का उप-मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड भी दर्ज हो गया है। दुष्यंत चौटाला ने रविवार को जब प्रदेश के छठे उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब सबसे कम उम्र में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बन गए। दुष्यंत चौटाला से पहले प्रदेश में चौ. चांदराम, डा. मंगल सैन, मा. हुकूम सिंह और बी.डी. गुप्ता तथा चंद्रमोहन बिश्रोई उप-मुख्यमंत्री रहे लेकिन इनमें कोई भी उस उम्र में उप-मुख्यमंत्री नहीं बन पाया जिस उम्र में दुष्यंत चौटाला उप-मुख्यमंत्री बने हैं। 

दुष्यंत चौटाला साढ़े 31 साल की उम्र में बने प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री 
दुष्यंत चौटाला ने रविवार को जब चंडीगढ़ स्थित हरियाणा राज भवन में प्रदेश के छठे उप-मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली तब उनकी उम्र लगभग साढ़े 31 साल थी। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1988 को हुआ। उनसे पहले चौ. चांदराम 44 साल की उम्र में 1967 में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बने थे। डा. मंगल सैन 50 साल की उम्र में 1977 में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बने थे। मा. हुकूम सिंह 1990 में जब प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बने, तब उनकी उम्र 65 साल हो चुकी थी। बनारसी दास गुप्ता भी 1990 में प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बने और तब उनकी उम्र 73 साल हो चुकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्रोई 2005 से 2008 तक प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री रहे। 2005 में चंद्रमोहन बिश्रोई को जब प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई गई तब उनकी उम्र 40 साल से जयादा हो चुकी थी। इन आंकड़ों से साफ है कि दुष्यंत चौटाला प्रदेश में सबसे कम उम्र में उप-मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नेता बन गए हैं।

दुष्यंत के लिए शुभ साबित हुआ अलग पार्टी बनाना
चौ. देवीलाल के बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला के परिवार में वर्चस्व की लड़ाई के चलते आया बिखराव व दुष्यंत द्वारा अलग पार्टी बनाना ही उन्हें सत्ता में ले आया है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष अक्तूबर माह में ओम प्रकाश चौटाला के दोनों बेटों अजय सिंह चौटाला व अभय सिंह चौटाला के बीच सियासी लड़ाई चरम पर पहुंच गई और ओम प्रकाश चौटाला ने अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को अपना सियासी वारिस बनाते हुए बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला व उनके दोनों बेटों दुष्यंत व दिग्विजय को इनैलो से बाहर का रास्ता दिखा दिया।  इसके बाद अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला ने पिछले वर्ष 9 दिसम्बर को जननायक जनता पार्टी के रूप में अपने नए दल का गठन कर लिया। मई में हुए संसदीय चुनाव में पार्टी ने 1 मात्र नारनौंद विधानसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज की और इसी माह हुए विधानसभा चुनाव में जजपा 10 के आंकड़े तक पहुंचने के साथ सत्ता के मुकाम तक पहुंचने में कामयाब हुई। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस प्रकार इनैलो से बाहर आना व अपनी पार्टी बनाना एक तरह से अजय चौटाला परिवार के लिए शुभ साबित हुआ है।

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