प्रदेश की राजनीति में बची अब देवीलाल परिवार की पार्टी

Edited By Naveen Dalal, Updated: 05 Jul, 2019 10:13 AM

devi lal family s party now remains in the state s politics

हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टियां लगी हैं। कोई पार्टी ‘मंथन ’ में है तो कोई विस्तार में लगी है, लेकिन चुनाव होने या राजनीति

पानीपत (खर्ब): हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टियां लगी हैं। कोई पार्टी ‘मंथन’ में है तो कोई विस्तार में लगी है, लेकिन चुनाव होने या राजनीति की चर्चा होने पर प्रदेश के ‘तीन लाल परिवार’ भी चर्चा में आ जाते हैं। कभी भाजपा प्रदेश के 3 लाल परिवारों से संबंधित पार्टियों के साथ गठबंधन कर सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ी थी। मौका मिलने पर भाजपा ने ‘पार्टनर’ बदलने में भी देर नहीं लगाई। पहले देवीलाल फिर बंसीलाल व बाद में भजन लाल परिवार की पार्टी के साथ गठबंधन किया। करीब 40 साल तक प्रदेश की राजनीति में लाल परिवारों की राजनीति जोर की रही।

हालात काफी बदल चुके हैं। भाजपा में उन्हीं पुरानी पाॢटयों के नेताओं को आना लगा है जिनके साथ कभी भाजपा नंबर दो पार्टनर रहती थी। गठबंधन पार्टनर के तौर पर लाल परिवारों की पार्टियों ने भी भाजपा सहयोगी होने के कारण सरकार बनाकर आगे बढऩे का काम किया था। इसमें भजनलाल परिवार की हजकां ही एक अपवाद है जिसके साथ भाजपा ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर चुनाव लड़ा और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर विधानसभा चुनाव में गठबंधन तोड़ लिया। 

देवीलाल के साथ ज्यादा गठबंधन में रही भाजपा,बंसीलाल के साथ भी रही ‘पार्टनर’
यदि भाजपा के लाल परिवारों के साथ गठबंधन की बात करें तो 1980 में तत्कालीन जनसंघ नेताओं ने देवीलाल के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद 1982 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल के लोकदल के साथ अंडरस्टैंडिंग कर भाजपा ने 24 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा तथा 6 सीटों पर विजय हासिल की। यहां रोचक बात यह है कि भाजपा व देवीलाल की पार्टी को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि भजनलाल 36 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हो गए थे। वहीं 1987 में फिर से देवीलाल की लोकदल के साथ भजपा ने गठबंधन कर 20 सीटों पर चुनाव लड़ा जिनमें से 16 पर भाजपा उम्मीदवार विजयी रहे। इसके बाद भाजपा ने लोकदल का साथ छोड़कर 1996 के चुनाव में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा।

25 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे जिनमें से 11 विधायक बनने में कामयाब रहे। सरकार में शामिल होने के बाद भी मनमुटाव होने पर भाजपा ने जून 1999 में समर्थन वापस ले लिया। बंसीलाल की सरकार बचाए रखने के लिए कांग्रेस ने समर्थन दिया लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार टूट गई। इसके बाद इनैलो के ओम प्रकाश चौटाला भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने। 22 फरवरी 2000 को विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन पार्टनर बदलते हुए बंसीलाल परिवार की बजाय एक बार फिर देवीलाल परिवार की इनैलो के साथ गठबंधन कर 21 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा 6 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। यहां भी मनमुटाव होने से भाजपा ने इनैलो का साथ छोड़ दिया तथा 2005 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा जिसमें भाजपा के दो विधायक बने।

दो लाल परिवार कांग्रेस में कर रहे राजनीति
बदले हालात में अब भाजपा की बल्ले-बल्ले हो रही है। भाजपा में लाल परिवारों की पार्टियों के नेता शामिल हो चुके हैं तथा आने वाले समय में भी शामिल हो सकते हैं। देवीलाल परिवार की राजनीति पहले ही इनैलो व जजपा में बंट चुकी है। वहीं बंसीलाल परिवार के नेता कांग्रेस पार्टी के तहत राजनीति कर रहे हैं। भजनलाल परिवार की पार्टी हजकां का भी कांग्रेस में पहले ही विलय हो चुका है। कुलदीप बिश्नोई व रेणुका बिश्रोई दोनों विधायक हैं। अब कुलदीप बिश्नोई की भी चर्चाएं चल रही हैं कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि यह अभी अफवाहें ही हैं जिनका कुलदीप बिश्रोई खंडन कर चुके हैं। 

अब देवीलाल परिवार की इनैलो व जजपा मैदान में 
अब हरियाणा में क्षेत्रीय दल के रूप में दूसरे दलों के अलावा देवीलाल परिवार की पार्टियां इनैलो व जजपा ही बची हैं जिसमें इनैलो का प्रतिनिधित्व अभय सिंह चौटाला कर रहे हैं तो जजपा का दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला कर रहे हैं। यह भी संयोग ही है कि जिस पार्टी के साथ कभी भाजपा गठबंधन कर पीछे रहती थी आज उसी पार्टी के नेता भाजपा में शामिल होने के बाद पीछे खड़े हैं। आने वाले दिनों में इस प्रकार की राजनीति और बदलने वाली है। 

भजन लाल परिवार की पार्टी के साथ भी किया था भाजपा ने गठबंधन
2009 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने अपने दम पर लड़ा और 4 विधायक जीतने में कामयाब रहे। 2014 आते-आते भाजपा ने हजकां के साथ गठबंधन कर लिया था। यह तीसरा मौका था जब भाजपा हरियाणा के तीसरे लाल भजन लाल के परिवार की पार्टी के साथ गठबंधन कर रही थी। हालांकि बाद में भाजपा और हजकां गठबंधन टूट गया था। भाजपा ने हजकां के साथ लोकसभा का चुनाव लड़ा तथा लोकसभा सीटों में से 7 पर उम्मीदवार विजयी हुए। भाजपा की स्थिति मजबूत होने पर भाजपा ने हजकां से गठबंधन तोड़ लिया था अकेले विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन यह हरियाणा की राजनीति में यह तो दर्ज हो ही गया कि भाजपा ने हरियाणा में तीनों लाल परिवारों की पार्टियों के साथ गठबंधन किया था।  

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