Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 26 May, 2018 11:14 AM
सी.एम. सिटी के डिप्टी मेयर मनोज वधवा के भाई भरत वधवा के आत्महत्या का मामला एक बार फिर गर्मा गया है। मनोज वधवा ने इस पूरी घटना का दोषी सी.एम. मनोहर लाल खट्टर को बताते हुए जमकर हमला बोला। डीप्टी मेयर ने कहा कि मैंने सी.एम. के खिलाफ विधानसभा में चुनाव...
करनाल(करनाल): सी.एम. सिटी के डिप्टी मेयर मनोज वधवा के भाई भरत वधवा के आत्महत्या का मामला एक बार फिर गर्मा गया है। मनोज वधवा ने इस पूरी घटना का दोषी सी.एम. मनोहर लाल खट्टर को बताते हुए जमकर हमला बोला। डीप्टी मेयर ने कहा कि मैंने सी.एम. के खिलाफ विधानसभा में चुनाव लड़ा था, जिसके कारण राजनीतिक साजिश के तहत मुझे और मेरे परिवार को फंसाया गया। पुलिस ने मेरे भाई को इतना प्रताड़ित किया कि मजबूरन उसने नहर में कूदकर अपनी जान दे दी। यह सब कुछ सी.एम. के संरक्षण में हो रहा है, जिसके कारण ही अब तक दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। डिप्टी मेयर द्वारा सी.एम. पर यह आरोप लगाए जाने के बाद से यहां के राजनीतिक गलियारों में हड़कम्प मच गया है।
करनाल के एक निजी होटल में आयोजित प्रेस कान्फ्रैंस में डिप्टी मेयर मनोज वधवा ने कहा कि मेरे भाई को आत्महत्या किए करीब 8 माह हो गया। घटना के बाद सी.एम. खुद मेरे घर आकर आश्वासन दिया था कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उलटा मुझे और मेरे परिवार को आज भी झूठे आरोप में प्रताड़ित किया जा रहा। मनोज वधवा ने कहा कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं विधानसभा चुनाव में सी.एम. के खिलाफ लड़ा था, तभी से भाजपा के स्थानीय नेता मुझसे रंजिश रखते हैं और सी.एम. के साथ मिलकर मुझे फंसाने की कोशिश कर रहे। जिस तरह भाजपा के नेता मिलकर मुझे व मेरे परिवार को प्रताड़ित कर रहे हैं, उसका जवाब करनाल की जनता देगी। उन्होंने कहा कि मैं फिर से सी.एम. के खिलाफ चुनाव लडूंगा और यहां की जनता अपने मताधिकार से भाजपा को सबक सिखाएगी।
इन पर लगाया प्रताड़ित करने का आरोप
मनोज वधवा ने 2 डी.एस.पी. और एक एस.एच.ओ. पर अपने भाई को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। मनोज वधवा के अनुसार डी.एस.पी. राजकुमार वालिया, डी.एस.पी. विवेक चौधरी और सी.आई.ए.- 2 के इंचार्ज जसपाल ढिल्लों पर प्रताड़ित होने के आरोप लगाया। वहीं तरावड़ी विधायक कबीरपंथी पर इस मामले में साजिश रचने का आरोप लगाया।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2016 में नोटबंदी के दौरान तरावड़ी में 16 लाख 42 हजार रुपए पकड़े जाने का मामला सामने आया था। तत्कालीन तरावड़ी थाना प्रभारी जसमेर सिंह के मुताबिक पुलिस ने तरावड़ी के वार्ड-12 डेरावली निवासी मोहित को हिरासत में ले उसकी तलाशी ली तो उसके पास से 16 लाख 42 हजार रुपए की राशि बरामद हुई। पूछताछ में उसने बताया कि वह करनाल में जे.एस.एम. प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में अकाऊंटैंंट के पद पर काम करता है। यह सारा पैसा उसी फर्म का है। यह फर्म डिप्टी मेयर मनोज वधवा के परिवार का है, बाद में जिस फर्म के अकाऊंटैंट से रुपए बरामद हुए थे वह पुलिस अधीक्षक करनाल के सामने पेश हो गया और उसने बताया कि यह रकम फर्म की है। इसकी कीमत 16 लाख 42 हजार रुपए नहीं, बल्कि 70 लाख रुपए है।
इस संबंध में तरावड़ी थाना प्रभारी जसमेर गुलिया सहित 3 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर तीनों को सस्पैंड कर दिया गया। जांच की कार्रवाई करने वाले डी.एस.पी. का बयान था कि राशि ज्यादा थी लेकिन पुलिस अधिकारियों ने मिलीभगत कर कम दिखाई। वहीं डिप्टी मेयर मनोज वधवा और उनके पिता का दावा है कि यह रकम 16 लाख 42 हजार रुपए ही थी, पुलिस ने जान-बूझकर ज्यादा रकम दिखाने की कोशिश की। पुलिस ने इस मामले में डिप्टी मेयर मनोज वधवा के पिता राधेश्याम व अकाऊंटैंट सहित एक दर्जन से ज्यादा लोग आरोपी बनाए और पूछताछ शुरू कर दी। मनोज वधवा का आरोप है कि पुलिस की थर्ड डिग्री से डरकर उनके भाई भरत ने सुसाइड कर लिया।