9 साल में विभाग ने रुकवाए 176 बाल विवाह, इस साल कम मामले आए सामने

Edited By vinod kumar, Updated: 02 Dec, 2019 11:52 AM

department stop176 child marriages in 9 years

महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिले में पिछले 9 साल के दौरान 176 बाल विवाह अपने प्रयासों बाल विवाह करने जा रहे अभिभावसे रुकवाने का कार्य किया है। इन 176 मामलों में विभाग ने कों की काऊंसिङ्क्षलग से ही बाल विवाह रुकवाए जबकि एक मामले में परिजनों के नहीं...

जींद(जसमेर): महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिले में पिछले 9 साल के दौरान 176 बाल विवाह अपने प्रयासों बाल विवाह करने जा रहे अभिभावसे रुकवाने का कार्य किया है। इन 176 मामलों में विभाग ने कों की काऊंसिङ्क्षलग से ही बाल विवाह रुकवाए जबकि एक मामले में परिजनों के नहीं मानने पर विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई। 9 साल के दौरान बाल विवाह के सबसे ज्यादा प्रयास साल 2016-17 में हुए जबकि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान जिले में बाल विवाह के प्रयास के केवल 6 मामले सामने आए हैं।

बाल विवाह कानूनन अपराध है और इस अपराध को रोकने की जिम्मेदारी सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग को दी है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रोकने के लिए अलग से विंग बनाई हुई है। जब भी बाल विवाह की कोई शिकायत पुलिस या महिला एवं बाल विकास विभाग को मिलती है तो यही विंग हरकत में आती है। टीम में विभाग के सहायक से लेकर पुलिस सब शामिल होते हैं। टीम मौके पर जाकर जांच करती है। इसमें वर और वधू दोनों की उम्र के प्रमाण परिजनों से मांगे जाते हैं।

18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी कानूनन नहीं हो सकती और विभाग की टीम को बाल विवाह की शिकायत में अगर वर या वधू में से किसी की भी उम्र निर्धारित से कम मिलती है तो विभाग उस शादी को रुकवाता है। इसके लिए परिजनों को पहले समझाया जाता है। परिजन मान जाते हैं तो विभाग उन्हें काऊंसिङ्क्षलग के बाद चेतावनी देकर छोड़ देता है और अगर परिजन नहीं मानते हैं तो फिर पुलिस में केस दर्ज करवाया जाता है। जींद जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग ने 2010-11 से 2019-20 के दौरान 176 बाल विवाह रुकवाने का काम किया है। इनमें 175 मामलों में विभाग ने केवल काऊंसिङ्क्षलग से ही बाल विवाह रुकवा दिए। एक मामले में विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई। 

शिकायत मिलते ही तुरंत होती है कार्रवाई : रवि 
बाल विवाह निषेध कार्यालय के सहायक रवि लोहान के अनुसार जैसे ही उनके विभाग को जिले में कहीं भी बाल विवाह की शिकायत या सूचना मिलती है तो विभाग तुरंत कार्रवाई करता है। पुलिस को साथ लेकर विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचते हैं। परिजनों से वर और वधू की उम्र के सबूत मांगे जाते हैं। कई बार शिकायत झूठी भी मिलती हैं। शिकायत सही होने पर परिजनों को शादी रोकने के लिए कहा जाता है। उन्हें बताया जाता है कि लड़की की शादी 18 साल से पहले और लड़के की शादी 21 साल की उम्र से पहले नहीं की जा सकती।

बाल विवाह करने पर सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। परिजनों को तमाम बातों से अवगत करवाया जाता है। समझाने पर परिजन शादी रोकने के लिए तैयार हो जाते हैं। केवल एक मामले में पिछले 9 साल के दौरान बाल विवाह रोकने को लेकर एफ.आई.आर. दर्ज करवाने की नौबत आई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल बाल विवाह के बहुत कम मामले सामने आने को लेकर रवि लोहान का कहना है कि लोगों में जागरूकता और विभाग की सख्ती के कारण यह संभव हुआ है। 

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