Edited By Rakhi Yadav, Updated: 19 Jul, 2018 03:19 PM
बेटों की चाहत में मां-बाप बेटी को गर्भ में ही मरवा देते है। यह सब वो ये सोचकर करते है....
नरवाना(गुलशन चावला): बेटों की चाहत में मां-बाप बेटी को गर्भ में ही मरवा देते है। यह सब वो ये सोचकर करते है कि बुढ़ापे में उनकी सेवा कौन करेगा। मरणोपरांत उनकी अर्थी को कंधा व अग्नि कौन देगा। ऐसे लोगो का भ्रम तोड़ते हुए व नसीहत का तमाचा मारा है नरवाना की अधिवक्ता कृष्णा सरोहा ने।
रामनगर में रहने वाली कृष्णा सरोहा पेशे से वकील है। उनके भाइयों ने उनकी मां को घर से निकाल दिया। जब इसका पता उनको लगा तो वह मां को अपने घर ले आई और अंतिम समय तक उनकी खूब सेवा की। जिसमें उसका सहयोग उनके पतिदेव और बेटा व बहू ने भी किया। साथ में उनकी मां की मृत्यु होने पर अग्नि देने से लेकर रसमपगड़ी तक की जिम्मेवारी खुद निभायेगी।
सरोहा ने कहा कि ये सब शिक्षा और संस्कार का खेल है लड़कियों को अबला नही सबला बनाए तो बेटियां भी बढ़ापे का सहारा बन सकती है। लोगों ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि सलाम है ऐसी बेटी को, जिसने बेटों से बढ़कर जिम्मेवारी निभाई है।