खेड़का गुर्जर गौशाला में रोजाना गौवंशों की हो रही मौत, प्रशासन बेखबर (VIDEO)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Jan, 2018 05:58 PM

खेड़का गुर्जर गौशाला में हर रोज गौवंशों की मौत हो रही है। इन गौवंशों की मौत के बाद इन्हें सही ढंग से दफनाया भी नहीं जाता और सात से दस मृत गौवंशों एक साथ एक ही गड्डे में लापरवाही से दफनाया जाता है। जिन्हें बाद में आवारा कुत्ते खोद कर निकाल लेते हैं...

बहादुरगढ़(प्रवीण धनखड़): खेड़का गुर्जर गौशाला में हर रोज गौवंशों की मौत हो रही है। इन गौवंशों की मौत के बाद इन्हें सही ढंग से दफनाया भी नहीं जाता और सात से दस मृत गौवंशों को एक साथ एक ही गड्डे में लापरवाही से दफनाया जाता है। जिन्हें बाद में आवारा कुत्ते खोद कर निकाल लेते हैं और दिन भर मृत गौवंशों को नोच-नोच कर खाते रहते हैं। इस समस्या को प्रशासन भी नजरअंदाज कर रहा है, जिससे गांव वालों में काफी रोष बना हुआ है।

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ठिठुरती सर्दी और अनजान बीमारी की चपेट में आने से झज्जर के खेड़ी जट्ट की गौशाला में हर रोज गौवंशों की मौत हो रही है। जिंदा रहते गौवंशों की सही देखभाल नहीं होती है, वहीं तो मरने के बाद भी गौवंशों के शव की बड़ी बेकदरी हो रही है। खेड़का गुर्जर की गौशाला में मरने वाले 7 से 10 गौवंशों को एक साथ एक ही गड्डे में बुरी तरीके से दफनाया जा रहा है। दफनाने से पहले गड्ढे में नमक भी नहीं डाला जा रहा है। गांव वालों को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होनें जमकर हंगामा भी किया। ग्रामीणों का आरोप है कि गौवंष को गला हुआ तूड़ा खिलाया गया है। गांव वालों ने सरकार से हस्तक्षेप कर गौशाला में सुधार की मांग की है।

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गौशाला में शैड की व्यवस्था भी है लेकिन कड़कड़ाती ठंड से उन्हें बचाने के लिए कुछ खास इंतजाम नहीं है। गौवंश बीमार होने पर तड़पते रहते हैं, शहरों से लाए गए गौवंश बीमार हैं, लेकिन उसकी दवा दारू करने के लिए कोई डॉक्टर यहां आता ही नही है। गौशाला कमेटी के प्रधान सतपाल ने बताया कि, डॉक्टर तीन चार दिन में घंटे भर के लिये आता है और बिना कुछ किए चला जाता है। ऐसे में बीमार गौवंश तड़प-तड़प कर जान दे देता है। गौशाला प्रधान ने बताया कि, जगह की कमी के कारण गौवंश को दफनाने में दिक्कत आती है इसके लिए कई बार जिला उपायुक्त से मदद भी मांगी गई है।

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बता दें कि, खेड़का गुर्जर की गौशाला में करीब 3 हजार छोटे से लेकर बड़े गौवंश हैं। जिनकी देखभाल के लिए करीब 22 कर्मचारी गौशाला कमेटी ने लगा रखे हैं। गौशाला का खर्च दानदाताओं के कारण चलता है जो साल पूरा होने से पहले ही खर्च हो जाता है। कमेटी सदस्यों ने सरकार से प्रति गाय होने वाले खर्च की राशि देने की मांग की है। कमेटी सदस्यों का कहना है कि सरकार को हर गौशाला में एक डॉक्टर लगाना चाहिए ताकि बीमार गौवंश का ईलाज हो सके।

गौरतलब है कि, हुडा सरकार में प्रति गाय होने वाले खर्च दिए जाने की घोषणा की गई थी लेकिन अब तक सरकार ने गौशालाओं को गौवंश की देखरेख के लिए धन नहीं दिया है। ठंड से बचाव के उपाय नहीं होने और डॉक्टरों की कमी भी गौवंश की मौत की बड़ी वजह मानी गई है। 

वहीं बहादुरगढ़ के एसडीएम जगनिवास का कहना है की पशुपालन विभाग के अधिकारियों से इस सम्बन्ध में बात की जाएगी और किसी भी पशु को सर्दी और भूख के कारण मरने नहीं दिया जाएगा। 

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