फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह रेपिस्ट के खिलाफ फैसले ले रहीं अदालतें

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 09 Jun, 2018 09:34 AM

courts taking decisions against rapists like fast track courts

पहले रेप और गैंगरेप के मामलों में अदालतों के फैसले आने में देरी होती थी। लेकिन अब अदालतें भी ऐसे में फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह फैसले सुनाने लगी हैंं। न्याय प्रणाली भी बदलाव की ओर अग्रसर है। अगर कोई कमी है तो वह है पुलिस तंत्र में। कई मामलों में पुलिस...

अम्बाला(मीनू) : पहले रेप और गैंगरेप के मामलों में अदालतों के फैसले आने में देरी होती थी। लेकिन अब अदालतें भी ऐसे में फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह फैसले सुनाने लगी हैंं। न्याय प्रणाली भी बदलाव की ओर अग्रसर है। अगर कोई कमी है तो वह है पुलिस तंत्र में। कई मामलों में पुलिस समय पर चालान ही पेश नहीं कर पाती, जिस कारण रेप और गैंगरेप के आरोपियों को समय पर सजा नहीं मिल पाती। 

हाल ही में रेवाड़ी जिले में रेप के एक आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई गई है। यह केस सिर्फ एक साल तक चला और कोर्ट ने सजा सुना दी। इससे पहले इसी जिले में रेप के 2 दोषियों को महज 7 माह में सजा सुना दी गई थी। निर्भया कांड के बाद से देश और प्रदेश में रेप और गैंगरेप के मामलों में तुरंत न्याय करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए थे। फास्ट ट्रैक कोर्ट ऐसे मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए बनाए गए हैं।
 

अब ऐसे मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए सामान्य कोर्ट भी तेजी से काम कर रहे हैं। हाल ही में एक रेपिस्ट को 10 साल की सजा सुनाने का फैसला सिर्फ एक साल में ही हो गया। इससे पहले ऐसे कई मामलों में सजा सुनाने के फैसलों में काफी समय लगता था। प्रदेश में इस साल रेप और गैंगरेप के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। हैवानियत का नंगा नाच नाचने वाले लोग मासूम बच्चियों को हवस का शिकार बना रहे हैं। कानून में बदलाव कर रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान तो कर दिया गया है, लेकिन दरिंदों पर अभी इस कानून का कोई असर नहीं हो रहा है।
 

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