निगम अधिकारियों पर 25 हजार का जुर्माना, आरटीआई का जवाब न देने पर कोर्ट ने दिए आदेश

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 16 Apr, 2018 12:00 PM

court ordered not to respond to rti

आरटीआई का जवाब न देने पर नगर निगम के संयुक्तायुक्त सहित अन्य अधिकारियों पर कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाने क आदेश दिए हैं। यह आदेश वार्ड नं 26 निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर दिए गए....

फरीदाबाद(ब्यूरो): आरटीआई का जवाब न देने पर नगर निगम के संयुक्तायुक्त सहित अन्य अधिकारियों पर कोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना लगाने क आदेश दिए हैं। यह आदेश वार्ड नं 26 निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर दिए गए है।

जानकारी के अनुसार संजय सिंह पुत्र नेपाल सिंह निवासी धीरज नगर वार्ड नंबर 26 समाजसेवी के तौर पर भी कार्य करते है। वे एक आरटीआई कार्यकर्ता भी है। उन्होंने 5 जून 2017 को नगर निगम में एक आरटीआई दायर कर कुछ सवालों का जवाब मांगा था। लेकिन निगम की तरफ से उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। 

नगर निगम की तरफ से संजय को कोई जवाब न मिलने पर 6 जुलाई 2017 को संजय सिंह ने राज्य सूचना आयोग में फस्र्ट अपील दायर की लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने इसकी कोई सुध नहीं ली। इसके बाद उन्होंने 9 अगस्त 2017 को चंडीगढ़ में अपील दायर की। 

जिसपर सुनवाई करते हुए अधिकारी अरुण सांगवान ने नगर निगम के संयुक्तायुक्त सहित सभी संबंधित अधिकारियों पर 250 रुपए प्रतिदिन और अधिकतम 25,000 रुपए का जुर्माना किया है। साथ ही आदेश दिए है कि 14 अगस्त 2018 तक अपना जवाब चंडीगढ़ मुख्यालय में दाखिल करें। इसके अलावा 21 अगस्त को इस मामले में अधिकारियों को जबाब देने के लिए भी कहा है।

एसडीएम ने 2 साल तक नहीं दी जानकारी
एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ  संबंधित विभाग में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी। लेकिन एसडीएम ने दो साल में आरटीआई का जवाब नहीं दिया। आखिर में शिकायतकर्ता राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।

आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए एसडीएम को कारण बताओ नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई की तिथि 10 मई निर्धारित की है। याचिका दायर करने वाले एक्टिविस्ट ने बताया कि सेकेंड अपील में भी विभाग जानकारी देने से बचता रहा। इसके बाद एक्टिविस्ट ने राज्य सूचना आयोग में अपील की और एसडीएम पर सूचना न देने का आरोप लगाया। 

नगर निगम में आरटीआई एक्टिविस्ट्स द्वारा दायर आरटीआई से कई मामलों में अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हुई है। बहुचर्चित सीएलयू कांड का खुलासा भी आरटीआई के माध्यम से हुआ। जिसमें नगर निगम के एसटीपी सतीश पाराशर को निलंबित भी किया गया। 

वहीं हाल ही में डेयरी प्रोजेक्ट के दुग्ध उत्पादकों को आवंटित किए जाने वाले प्लॉट को  महिला क्लर्क सुनीता डागर को कौडिय़ों के दाम में आवंटित करने के मामले में पूर्व संयुक्त आयुक्त सतीश पाराशर के खिलाफ  न्यायालय ने केस दर्ज करने के आदेश जारी किए। यह खुलासा भी आरटीआई में हुआ कि कोडिय़ों के दाम प्लांट आवंटित कर राजस्व को एक करोड़ से अधिक का चूना लगाया गया।  

आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर जेएमआईसी हिमानी गिल ने सतीश पाराशर, महिला क्लर्क सुनीता डागर और कर्मचारी हितेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच करने के आदेश जारी किए है।
 

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