Edited By Deepak Paul, Updated: 15 Jul, 2018 10:51 AM
झज्जर में जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण केस में पीड़ितों को बड़ा झटका मिला है। ए.डी.जे. की अदालत ने केस में सी.डी. वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पीड़ित पक्ष की ओर से हत्या व आगजनी के मामले में 4000 लोगों की भीड़ में कई...
झज्जर(संजीत): झज्जर में जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण केस में पीड़ितों को बड़ा झटका मिला है। ए.डी.जे. की अदालत ने केस में सी.डी. वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पीड़ित पक्ष की ओर से हत्या व आगजनी के मामले में 4000 लोगों की भीड़ में कई महत्वपूर्ण लोगों के शामिल होने की बात का दावा किया जा रहा है। जबकि समूचे केस में 2 लोगों को ही पुलिस ने पकड़ा है। अब पीड़ित पक्ष की ओर से सरकार की ओर से केस की पैरवी में बनी व्यवस्था में खामियां और जातिवाद के हावी होने का आरोप लगाया जा रहा है।
पीड़ित पक्ष में शामिल उदय का कहना है कि जांच में लापरवाही रही है। उनके पास सी.डी. मौजूद है, जिसमें इस समूची वारदात में कड़ौदा के एक व्यक्ति की भूमिका स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। समूची वारदात का षड्यंत्र भी इन्हीं के घर रचा गया था। आगजनी और दूसरी वारदात में 4 हजार लोगों की भीड़ थी, इसमें शामिल कड़ौदा के उक्त व्यक्ति सहित अन्य कई लोगों को वह पहचानता है। सी.डी. में इनके चेहरे हैं, वहीं मुआवजा मामले मामले में भी शहर के 24 लोगों को अभी तक राहत नहीं मिली है। उनकी याचिका खारिज हो गई। इससे उनको झटका अवश्य लगा है लेकिन उनको उम्मीद है कि ऊपर अदालत में उनकी बात को सुना जाएगा। इसके लिए वह हाईकोर्ट का रुख करेंगे।