याचिका दाखिल न हो फिर भी न्यायालय को मुआवजा बढ़ाने का अधिकार: हाईकोर्ट

Edited By Shivam, Updated: 11 Apr, 2020 09:58 PM

court has right to increase compensation even if petition is not filed

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया है कि अगर मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग नहीं की जाती तो कोर्ट के पास इस बात का अधिकार है कि वह मुआवजा बढ़ा सकता है।

चंडीगढ़ (धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया है कि अगर मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग नहीं की जाती तो कोर्ट के पास इस बात का अधिकार है कि वह मुआवजा बढ़ा सकता है। 

दरअसल, जीप के साथ हुई बाईक की टक्कर के कारण बाइक सवार दो लोग घायल हो गए थे। इसमें वाहन चलाने वाले गुरमीत सिंह को मामूली तथा हरदेव को गंभीर चोट आई थी। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने गुरमत सिंह को 20 हजार तथा हरदेव को 150138 रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए थे। इस मामले में बीमा कंपनी और वाहन मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मुआवजे की जिम्मेदारी डालने के ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी थी जबकि चोटिल दोनो पीड़ितों की ओर से क्लेम राशि बढ़ाने के लिए कोई याचिका दाखिल नहीं की थी। 

हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी और वाहन मालिक की याचिका सुनते हुए मुआवजा राशि को भी बढ़ाने का फैसला लिया। बीमा कंपनी और वाहन मालिक ने इसका विरोध किया। हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि यदि कोर्ट को लगता है कि मुआवजे के रूप में दी गई राशि पर्याप्त नहींं है तो वे मुआवजा बढ़ाने के लिए याचिका दाखिल न होने पर भी मुआवजा बढ़ाने का अधिकार रखता है।  

हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए 150138 रुपए की राशि को बढ़ाते हुए 5 लाख 50 हजार 86 रुपए कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित कृषक था और एक्सीडेंट के कारण उसके शरीर में 25 प्रतिशत डिसएबिलिटी आ गई है, जिसके चलते वह अब कृषि कार्य में असमर्थ हो गया है। ऐसे में उसे दिए गए मुआवजे को नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि को बढ़ाने के आदेश दिए हैं।

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