कोरोना : बढ़ते संक्रमण के बीच ‘आइसोलेट’ हुई प्रदेश की सियासत!

Edited By Manisha rana, Updated: 22 Apr, 2021 09:02 AM

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देश एवं प्रदेश में कोरोना की नई लहर के चलते एकाएक बढ़ रहे संक्रमण ने जहां एक बार फिर समूचे हरियाणा के जनमानस में भय का माहौल कायम कर दिया है तो वहीं हरियाणा की सियासत...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : देश एवं प्रदेश में कोरोना की नई लहर के चलते एकाएक बढ़ रहे संक्रमण ने जहां एक बार फिर समूचे हरियाणा के जनमानस में भय का माहौल कायम कर दिया है तो वहीं हरियाणा की सियासत भी ‘आइसोलेट’ होती नजर आ रही है। प्रदेश के अधिकांश नेता या तो इस संक्रमण की चपेट में हैं तो वहीं अन्य नेताओं ने इस बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर फील्ड की सक्रिय राजनीति से खुद को फिलहाल दूर कर लिया है। लिहाजा कहा जा सकता है कि कोरोना के चलते अब प्रदेश में सियासी गतिविधियां ठंडी पड़ गई हैं। 

उधर, हरियाणा में 31 मई तक स्कूलों की छुट्टियां कर दी गई हैं। पिछले साल की तुलना में हरियाणा में कोरोना की रफ्तार डबल से भी अधिक है। पिछले साल सितम्बर माह में कोरोना पीक पर था और 22 हजार एक्टिव केस हो गए थे। अब तो एक्टिव केसों की संख्या 49 हजार को पार कर गई है। चिंता की बात यह है कि पिछले बीस दिनों में कोरोना के चलते 326 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले करीब 5 महीनों से किसान आंदोलन जारी है। किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में विकास की गति और सियासी गतिविधियां दोनों पहले से ही ठंडी पड़ी हुई हैं। अब कोरोना के बढ़ते ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी है। कोरोना का रिकवरी रेट लगातार कम हो रहा है और केस बढ़ रहे हैं। हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पॉजिटिव हो गए हैं तो सरकार के खिलाफ अक्सर मुखर रहने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला भी कोरोना की चपेट में हैं। वहीं अन्य नेता भी कोरोना के बढ़ते ग्राफ के बाद आइसोलेन में नजर आते हैं। 

पिछले बीस दिनों में तो कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। 31 मार्च तक हरियाणा में कोरोना से 3155 लोगों की मौत हुई थी। अब मौत का आंकड़ा 3483 तक पहुंच गया है। ऐसे में 1 से लेकर 20 अप्रैल तक (20 दिनों में) 326 लोगों की मौत हो चुकी है। हर रोज औसतन 16 लोगों की मौत हो रही है। कोरोना के कारण पिछले साल चार चरण का लॉकडाऊन हरियाणा में रहा था और उस दौरान कारखाने बंद होने से करीब 6 लाख मजदूरों ने पलायन किया था। हालांकि पिछली बार के अनुभव के बाद इस बार हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि लॉकडाउन इसका हल नहीं है। पर कोरोना का संक्रमण जिस तेजी से फैल रहा है, उससे आने वाले दिनों में चिंता बढ़ सकती है। पिछले करीब एक साल से मंदी की मार झेल रहे बाजारदारों को अब थोड़ी सी राहत मिली ही थी कि अब कोरोना की रफ्तार एकाएक बहुत अधिक तेज हो गई है। यह चिंतनीय आंकड़ा ही है कि अब तक 3 लाख 71 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं। अब हर रोज औसतन 7 हजार नए केस आ रहे हैं।

इस बार डराने वाले हैं कोरोना के आंकड़े
पिछले साल 17 मार्च को हरियाणा के गुरुग्राम में कोरोना का पहला केस आया। पिछले साल जुलाई में कोरोना ने रफ्तार पकड़ी और सितम्बर में यह पीक पर पहुंच गया था। 29 जुलाई को कोरोना के 6798 एक्टिव केस थे। 25 अगस्त को यह 9489 जबकि 16 सितम्बर को 21334 हो गए। इसके बाद कोरोना संक्रमण का फैलाव कम हुआ। 20 फरवरी को एक्टिव केस 816 रह गए थे। मार्च में कोरोना ने फिर रफ्तार पकड़ ली। इसी वर्ष 6 मार्च को एक्टिव केस 1898 हो गए जबकि 29 मार्च को आंकड़ा 9300 को पार कर गया। अब कोरोना के एक्टिव केस 49,772 हो गए हैं। 


आई.एम.ए. की नई पहल
हरियाणा में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच आई.एम.ए. की सिरसा इकाई ने एक अनूठी पहल की है। इसके तहत आई.एम.ए. से जुड़े सभी चिकित्सक प्रतिदिन रानियां रोड स्थित आई.एम.ए. हाऊस में नि:शुल्क फ्लू ओ.पी.डी. करेंगे। इस ओ.पी.डी. के जरिए प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे और अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक मरीजों की नि:शुल्क जांच होगी। आई.एम.ए. के पूर्व जिलाध्यक्ष डा. अशोक पारीक ने बताया कि इस दौरान जांच तो नि:शुल्क होगी ही वहीं मरीजों को जरूरी फ्लू से संबंधित दवाएं भी नि:शुल्क प्रदान की जाएंगी।

पिछली बार भी प्रभावित हुई थी सियासत
कोरोना संक्रमण का यह फैलाव पिछली बार भी सियासत को प्रभावित करता हुआ नजर आया था। उस दौर में मुख्यमंत्री सहित कई नेता और अफसर चपेट में आए थे। जिसके चलते पिछली बार भी हरियाणा की सियासत पर असर पड़ा था। स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी कोरोना पॉजीटिव हो गए थे और कई अधिकारी भी इसकी चपेट में आने से नहीं बच सके थे। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, बिजली मंत्री रणजीत सिंह, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा सहित कई मंत्री, विधायक, सांसद एवं अफसर कोरोना पॉजीटिव हो गए थे।


मरीजों से अटे अस्पताल
खास बात यह है कि पिछली बार लोग कोरोना से भयभीत थे। कोरोना पैशेंट को लेकर समाज में ऐसी थ्यौरी बन गई थी कि लोग लक्षण आने पर टैस्ट नहीं करा रहे थे। इस बार सैंपलिंग अधिक हो रही है। ऐसे में केस भी ज्यादा आ रहे हैं। आलम यह है कि हरियाणा में अब कोरोना के 50 हजार एक्टिव केस हो गए हैं। यही वजह है कि हरियाणा में तमाम सरकारी और निजी कोविड अस्पताल कोरोना मरीजों से पूरी तरह से अटे हुए हैं। 
 

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