आंदोलनों से सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ना चाहती है कांग्रेस : असीम गोयल

Edited By Isha, Updated: 24 Jun, 2021 03:07 PM

congress wants to climb the ladder of power through movements aseem goyal

जिन भी किसानों ने कृषि कानूनों को अच्छी तरह स्टडी किया और फायदे और नुकसान को समझा है। उन्होंने अपना समर्थन सरकार को दे दिया है और जिन किसानों साथियों ने इसका अध्ययन नहीं किया वह आज भी इसके विरोध में बैठे हैं।

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): जिन भी किसानों ने कृषि कानूनों को अच्छी तरह स्टडी किया और फायदे और नुकसान को समझा है। उन्होंने अपना समर्थन सरकार को दे दिया है और जिन किसानों साथियों ने इसका अध्ययन नहीं किया वह आज भी इसके विरोध में बैठे हैं।

विधानसभा में कृषि बिलों पर उंगली उठाने वाले कांग्रेसी विधायक तो इन बिलों का नाम तक नहीं बता पाए थे। बहुत से वरिष्ठ किसान नेताओं ने इन बिलों के महत्व और फायदे को समझते हुए मुख्यमंत्री का तो धन्यवाद किया ही है साथ ही मुख्यमंत्री के माध्यम से देश के माननीय प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का भी धन्यवाद करने का काम किया है और वह इसकी खुशी में कार्यक्रम भी करवाने जा रहे हैं। यह बात आज पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल ने कही।

उन्होंने कहा कि 26 जून का दिन इस देश के लोकतंत्र के अध्याय में एक काला दिवस के रूप में लिखा गया था। जिस भी भारतवासी ने वह मंजर देखा, वह इसे काला दिवस के रूप में मनाता है। भारतीय जनता पार्टी और जनसंघ हमेशा से आपातकाल के इस दिन को कार्यक्रम करते आए हैं। आज कुछ किसान साथियों द्वारा इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा पर कांग्रेस सवाल खड़ा कर रही है और गलत बता रही है। जबकि खुद कांग्रेस ही इस आंदोलन की जन्मदाता है। कांग्रेस का केवल एक मकसद है कि इस प्रकार के आंदोलनों से सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ा जाय। लेकिन कांग्रेस ने पहले भी मुंह की खाई और आगे भी खाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा आंदोलन की समाप्ति के लिए 12 वार्ताएं की गई जोकि सरकार ने अब भी वार्ता के दरवाजे खुले रखे हैं। लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का एक अपना स्थान है। समस्याओं के समाधान का स्थान है। लेकिन लोकतंत्र में जिद्द का स्थान नहीं होना चाहिए। कानूनों पर आदरणीय सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दी है। जब कानून अस्तित्व में है ही नहीं तो आंदोलन और प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं ? दोनों तरफ से सकारात्मक वार्ता होनी चाहिए और वार्ता के अच्छे परिणाम निकल कर आने चाहिए, यह हमारी इच्छा है।क्योंकि देश का अन्नदाता सड़कों पर बैठा है जो कि अच्छी बात नहीं है।


 पंजाब में फरवरी माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ताधारी दल कांग्रेस, मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी और हमारी पूर्व की सहयोगी अकाली दल सभी अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए किसान साथियों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। यह तीनों पार्टियां किसान आंदोलन की बैसाखी को पकड़कर पार उतरना चाहती हैं। लेकिन पंजाब की आम जनता देश के प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के अच्छे कामों से परिचित है और पंजाब में इस बार जनता का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को मिलना तय है।

हाल ही में अकाली और बसपा का गठबंधन केवल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए किया गया फैसला है। भारतीय जनता पार्टी का कोई भी व्यक्ति कितने भी शीर्ष पद पर पहुंच जाए, उसका भाव एक आम कार्यकर्ता वाला ही रहता है। हम मूल रूप से कार्यकर्ता है। चाहे देश के माननीय प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो या हम जैसे विधायक हो। हम कार्यकर्ता के नाते संगठन, अन्य कार्यकर्ताओं और पार्टी को आगे बढ़ाने का दायित्व निभाते हैं। इसी को लेकर दायित्ववान कार्यकर्ताओं की मीटिंग होती रहती हैं।



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